लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में भारतीय संविधान को अंगीकृत किए जाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर नए आपराधिक कानूनों के तहत न्याय प्रक्रिया में फॉरेंसिक विज्ञान और साइबर सुरक्षा की भूमिका पर राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने फॉरेंसिक साइंसेज इंस्टीट्यूट के नए ऑडिटोरियम का भी उद्घाटन किया और बच्चों को विभिन्न कोर्सेज के सर्टिफिकेट प्रदान किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरणा से देश में एक जुलाई-24 से तीन नए कानून लागू किये गये। इन तीन नए कानूनों का उद्देश्य सिर्फ अपराध और दंड नहीं, बल्कि “न्याय” को भी सुनिश्चित करना है।
ये तीन कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 हैं। इनका उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करना है।
उन्होंने यह भी कहा कि इन कानूनों के तहत सबसे पहले साक्ष्य जुटाए जाएंगे, फिर अपराधी को कटघरे में खड़ा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले साढ़े सात वर्षों से उत्तर प्रदेश में कानून का राज मजबूत हुआ है और राज्य में हर स्तर पर इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि सुशासन की पहली शर्त कानून का राज स्थापित करना है। उन्होंने प्रदेश की पुलिस व्यवस्था की तारीफ करते हुए बताया कि आज राज्य में कानून-व्यवस्था मजबूत है और हर जगह उत्तर प्रदेश के कानून के राज की चर्चा हो रही है।
साथ ही, प्रदेश में 1775 थानों में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की गई हैं ताकि साइबर अपराधों से निपटा जा सके।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान साइबर सुरक्षा और फॉरेंसिक विज्ञान के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास से विकास की गति तेज हुई है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराध और धोखाधड़ी के मामले भी बढ़े हैं।
ऐसे में साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में 18 रेंजों में साइबर थानों की स्थापना की गई है और 75 जिलों में साइबर थाने स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा प्रदेश में हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क बनाई गई है, जो लोगों की सहायता करती है।
मुख्यमंत्री ने युवाओं से अपील की है कि वे टेक्नोलॉजी से भागें नहीं, बल्कि उसका सही उपयोग करके समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए फॉरेंसिक विज्ञान और साइबर सुरक्षा को एकजुट करना बहुत जरूरी है, ताकि इस तरह के अपराधों को रोका जा सके।
सीएम योगी ने राज्य में 2017 से पहले की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त थी। गुंडागर्दी और माफिया राज का बोलबाला था, जिससे सामान्य नागरिकों और युवाओं के लिए पहचान का संकट खड़ा हो गया था।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि उस समय प्रदेश के एक भू माफिया ने फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की जमीन पर कब्जा कर लिया था। हालांकि, सरकार ने माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की और उस जमीन को खाली कराया, जिसके बाद आज उसी स्थान पर भव्य फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट स्थापित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद से कानून-व्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव आया है। प्रदेश को दंगा मुक्त, गुंडा मुक्त और माफिया मुक्त बनाने की दिशा में सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में पुलिस की खाली पदों पर भर्ती की प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से पूरा किया गया है और अब तक 1,54,000 से अधिक पुलिस कार्मिकों की भर्ती की जा चुकी है।
इसके अलावा, हाल ही में 60,200 नए पुलिस कार्मिकों की भर्ती भी की गई है, जिससे प्रदेश की सुरक्षा और बेहतर हुई है।
सीएम योगी ने इस अवसर पर प्रदेश के युवाओं को डिजिटल और तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक विज्ञान और अन्य उभरते हुए क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, ताकि वे भविष्य में साइबर अपराधों को रोकने में मदद कर सकें।
कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्रदेश के विकास और कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सरकार के प्रयासों को साझा किया और नागरिकों से सकारात्मक सोच और तकनीकी साधनों के सही उपयोग की अपील की।
This Post is written by Abhijeet Kumar yadav