महाकुम्भ नगर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को प्रयागराज दौरे पर बौद्ध महाकुम्भ यात्रा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी उपासना विधियों का एक मंच पर आना अभिनंदनीय है। हिंदू और बौद्ध एक ही वटवृक्ष की शाखाएं हैं। यदि ये एक ही मंच पर आ जाएं तो यह दुनिया में सबसे शक्तिशाली वटवृक्ष बनेगा जो उन्हें छांव भी देगा और उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा। कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने बौद्ध संतों और विद्वानों पर पुष्प वर्षा भी की। इससे पहले मुख्यमंत्री ने दीप जलाकर कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध ने दुनिया को करुणा और मैत्री का संदेश दिया। आज यदि भारत रहेगा तो भगवान बुद्ध का संदेश भी रहेगा। कुछ लोग आज भारत को बांटने का षड्यंत्र कर रहे हैं, लेकिन इस तरह के आयोजनों से भारत विरोधी तत्वों की नींद हराम हो चुकी है। वह अलग-अलग माध्यमों से दुष्प्रचार कर रहे हैं, लेकिन सांच को आंच कहां। सत्य तो सत्य होगा। भगवान बुद्ध ने कहा था कि सत्य की अनुभूति की जाती है, सत्य को शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है। इसी सत्य की अनुभूति आज यहां कोटि-कोटि संतों और श्रद्धालुओं को हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां एक तरफ यह महाकुम्भ एकता का संदेश दे रहा है तो वहीं बहुत सारे लोगों को यह कार्यक्रम अच्छे नहीं लग रहे। 38 करोड़ श्रद्धालु कैसे प्रयागराज महाकुम्भ में आकर आस्था की डुबकी लगा लिए हैं। भारत का डंका दुनिया में बजा दिया है। महाकुम्भ का आयोजन एकता का संदेश देने का सबसे बड़ा माध्यम है। यह आत्म साक्षात्कार का भी माध्यम है।
इस महाकुम्भ से यह संदेश पूरी दुनिया को जाना चाहिए। प्रसन्नता है कि आप लोग यहां पर आए, महाकुम्भ के साक्षी बने और त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर एकता के संदेश को गांव गांव और घर घर तक पहुंचाने का कार्य करेंगे।
इस अवसर पर जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इंद्रेश जी समेत बौद्ध धर्म से जुड़े संत उपस्थि रहे।