उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा क्षेत्र में अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में सरकार के पक्ष को मजबूती से रखा और विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी के सदस्य मनोज कुमार पारस, पूजा और पंकज पटेल द्वारा उठाए गए मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदस्यों को सदन की गरिमा और मर्यादा का ध्यान रखते हुए तथ्यपूर्ण बातें रखनी चाहिए।
योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सरकार की कई महत्वपूर्ण पहल की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने शिक्षा विभाग में 1.60 लाख से अधिक भर्तियां की हैं। इन भर्तियों की प्रक्रिया पिछली सरकारों की नकारात्मक नीतियों और बदनीयती के कारण लंबित रह गई थी, लेकिन अब सरकार ने इन्हें पूरा किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में समग्र शिक्षा क्षेत्र (बेसिक, माध्यमिक, उच्च, तकनीकी, व्यावसायिक और चिकित्सा शिक्षा) को सुधारने के लिए एक नया चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग स्थापित किया गया है। यह आयोग विभिन्न विभागों से अधियाचन मांगकर नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि नौकरियों में आरक्षण के नियमों का पालन पूरी तरह से किया जा रहा है। सरकार ने सार्वजनिक परीक्षा व अनुचित साधनों की रोकथाम के लिए ‘सार्वजनिक परीक्षा व अनुचित साधनों की रोकथाम अधिनियम 2024’ पारित किया है, ताकि युवाओं को पारदर्शी तरीके से सरकारी नौकरियां मिल सकें। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने युवाओं के लिए कई योजनाओं और अवसरों को प्रस्तुत किया है।
मुख्यमंत्री ने विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए आंकड़ों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया की बात करें, तो 69,000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए हैं और वे चार साल से स्कूलों में पढ़ा भी रहे हैं।
पहले, बीएड को एनसीटीई द्वारा योग्य नहीं माना गया था, जिसके कारण कुछ समय के लिए शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में रुकावट आई थी। इसके बावजूद, 42,000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई थी और अब वे सभी शिक्षक राज्य के विद्यालयों में काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पिछली सरकारों के कार्यकाल में शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया गया था। उदाहरण स्वरूप, शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें सेवाओं से हटा दिया गया था। बावजूद इसके, राज्य सरकार ने उन्हें निश्चित मानदेय पर काम करने का अवसर दिया और उन्हें भर्ती प्रक्रिया से जोड़ा।
मुख्यमंत्री ने 69,000 शिक्षकों की भर्ती के आंकड़ों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पिछड़ी जातियों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण के तहत 18,000 पद आरक्षित थे, लेकिन इन पदों पर 32,200 युवाओं को भर्ती किया गया।
इसके अलावा, अनुसूचित जातियों के लिए 21 प्रतिशत आरक्षण के तहत 12,000 पद आरक्षित थे, जबकि इन पर 14,000 से अधिक युवाओं को भर्ती किया गया। इसके विपरीत, जनरल कैटेगरी के लिए 34,500 पदों में से मात्र 20,000 पद भरे गए, जिससे यह साबित होता है कि योग्यता और मेरिट के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ भी दिया गया।
मुख्यमंत्री ने इन आंकड़ों को सामने रखते हुए कहा कि यह उन लोगों के लिए आंखें खोलने वाली बात है, जो समाज में बंटवारे की राजनीति करके समाज को विभाजित करना चाहते हैं। सीएम ने कहा कि उनकी सरकार युवाओं के हित में काम कर रही है और आगामी समय में भी इसी तरह की योजनाओं और सुधारों के माध्यम से युवाओं के लिए अवसर बढ़ाए जाएंगे।
This Post is written by Abhijeet Kumar yadav