उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन मोड में हैं। दो दिन के अंदर ही फिरोजाबाद और बांदा में 02 एसडीएम और तहसीलदार सहित 06 पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों/कर्मचारियों का निलंबित करके उनकी जांच शुरू करने के निर्देश देने के साथ ही मुख्यमंत्री ने अब सरकारी कार्यालयों में भी औचक निरीक्षण कराना शुरू कर दिया है।
गुरुवार को एक अभूतपूर्व कार्रवाई के तहत मुख्यमंत्री की सीधी निगरानी में सहारनपुर में तहसीलों और आरटीओ दफ्तर में औचक निरीक्षण किया गया, जहां 19 दलाल/बिचौलिये मिले। सभी को तत्काल जेल भेज कर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी गई। अचानक हुई इस कार्रवाई से जिले में हड़कंप सा माहौल है।
लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद ज़ोन, मंडल, रेंज, जिला सहित फील्ड में तैनात अधिकारियों के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री ने ‘जनहित सर्वोपरि’ होने की बात कही थी। अधिकारियों को हर दिन तय समय पर दो घंटे जन सुनवाई के लिए निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार मुक्त कार्य संस्कृति की बात पर जोर दिया था।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि किसी भी सरकारी कार्यालय में दलालों/बिचौलियों की मौजूदगी पाई जाती है तो उन पर तो कार्रवाई होगी ही, साथ ही अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाएगी। इसी संदंर्भ में गुरुवार को मुख्यमंत्री ने सहारनपुर के तहसीलों और आरटीओ दफ्तर में औचक निरीक्षण कराया, जहां 19 संदिग्ध लोग मिले। पूछताछ में प्रथम-दृष्टया इनकी पहचान दलालों/बिचौलियों के रूप में हुई है। सभी को तत्काल जेल भेजकर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी गई।
औचक निरीक्षण के पीछे मुख्यमंत्री की मंशा, सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार मुक्त, साफ-सुथरी, शुचितापूर्ण कार्यसंस्कृति बनाये रखना है। मुख्यमंत्री द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को दो टूक शब्दों में कहा गया कि सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं है। यदि किसी कार्यालय में दलाल/बिचौलिया पाया गया तो जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाएगी, साथ ही उनकी परिसम्पत्तियों की जांच भी कराई जाएगी।
सीएम ने कहा है कि जनता की सरकार, जनहित के लिए प्रतिबद्ध है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। भ्रष्टाचार में संलिप्तता मिलने पर बर्खास्तगी की कार्यवाही भी की जाएगी। औचक निरीक्षण का यह दौर लगातार जारी रहेगा।