यूपी के आगरा में करीब 1200 औद्योगिक इकाइयों के संचालन पर संकट के बादल छा चुके हैं। यूपीसीडा इन औद्योगिक इकाइयों के स्वामियों से 50 साल पुराने रिकॉर्ड मांग रहा है। जिससे ये व्यपारी चिंतित हैं।
आगरा के फाउंड्री नगर और सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में चल रहे करीब 1200 औद्योगिक इकाइयों के संचालन पर संकट के बादल छा चुके हैं। यूपी राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने यहां के भूखंड स्वामियों से 40-50 साल पुराने रिकॉर्ड के लिए तलब किया है। और नोटिस दिया है कि, ऐसा नहीं करने पर उनके भूखंड के आवंटन को निरस्त कर दिया जाएगा।
यूपीसीडा ने फाउंड्री नगर और सिकंदरा क्षेत्र में करीब 1200 भूखंडों को उद्योग के लिए 99 साल की लीज पर दिया गया था। इनके संचालकों को नोटिस देकर आवंटित होने वाले दिन से संबंधित व्यापार से जुड़े रिकॉर्ड और अन्य प्रमाणपत्रों को निवेश मित्र पोर्टल पर अपलोड करने के लिए नोटिस दिए गए हैं।
इससे जुड़े सभी दस्तावेज नहीं होने से व्यापारी चिंतित हैं। इनका तर्क है कि बरसों पुराने सभी रिकॉर्ड जुटा पाना संभव नहीं है। व्यापारी वर्तमान या कुछ साल पुराने रिकॉर्ड उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं। इसके लिए संबंधित विभाग के अफसरों से भी मिल चुके हैं। यूपीसीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक सीके मौर्य का कहना है कि शासन ने प्राधिकरण की ओर से आवंटित इकाइयों से जुड़े दस्तावेज और उत्पादन प्रमाणपत्रों को वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। ऐसा नहीं करने पर भूखंड को रिक्त मानते हुए निरस्त कर दिया जाएगा।
– मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट।
– बिजली के बिल।
– क्रय-विक्रय संबंधी बिल।
– मशीनरी के बिल।
– पीएमटी पार्ट-दो।
– कर निर्धारण।
– जीएसटी पंजीकरण संख्या।
– जीएसटी रिटर्न।
– उद्यम आधार।
– अग्निशमन विभाग की एनओसी।
– शिपिंग बिल।
– स्वीकृत मानचित्र की प्रति।
– प्रोपराइटरशिप फर्म (यदि लागू हो)
– पार्टरनशिपडीड (यदि लागू हो)
– वर्तमान कंपनी का मेमोरेंडम एवं निवेशकों और अंशधारकों की सीए से प्रमाणित सूची।
नेशनल चैंबर के अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता कहते हैं कि यूपीसीडा की 40-50 साल पुराने रिकॉर्ड मांगना अव्यवहारिक है। इतने पुराने रिकॉर्ड रखना किसी भी व्यापारी के लिए आसान नहीं है। ऐसे में वे अधिकारियों को अपनी समस्या बता चुके हैं।
नेशनल चैंबर के उपाध्यक्ष अंबा प्रसाद गर्ग का ने कहा कि समय के साथ कई रिकॉर्ड छिन्न-भिन्न हो चुके हैं। अधिकारियों से मांग की है कि व्यापारियों के लिए वर्तमान या फिर बीते 4-5 साल पुराने रिकॉर्ड देना ही संभव हो पाएगा।
उद्यमी चंद्रमोहन सचदेवा ने कहा कि सभी संबंधित प्रतिष्ठान जीएसटी विभाग में पंजीकृत हैं, इनसे जुड़े रिकॉर्ड वहां से प्राप्त किए जा सकते हैं। वहीं नोटिस से व्यापारी चिंतित हैं।