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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में किसान देवता के मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

प्रयागराज में किसानों के सम्मान में स्थापित हुआ अनूठा आस्था केंद्र, चार बार होती है भव्य आरती|

किसान देवता की आराधना का विशेष स्थल

प्रयागराज महाकुंभ में धर्म, आध्यात्म और संस्कृति के साथ-साथ देश के अन्नदाताओं को समर्पित एक अनोखा मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सेक्टर-15 के मुक्ति मार्ग पर स्थित इस मंदिर की स्थापना किसान पीठाधीश्वर शैलेंद्र योगीराज जी महाराज ने की है। यहां किसान देवता और देवी की प्रतिमाएं क्रमशः हल और हंसिया लिए हुए विराजमान हैं, जो कृषि के प्रतीक के रूप में श्रद्धालुओं की आस्था को समर्पित हैं।

दैनिक अनुष्ठान और भक्तों का उत्साह

मंदिर में प्रतिदिन चार बार किसान देवता की भव्य आरती एवं श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान अन्नदाताओं को समर्पित विशेष भजनों की गूंज माहौल को भक्तिमय बना देती है। श्रद्धालु दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं और किसानों के कल्याण की कामना करते हैं। कई बार तो भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि प्रशासनिक व्यवस्था चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

किसानों को देवतुल्य मानने का संदेश

मंदिर के संस्थापक शैलेंद्र योगीराज जी महाराज के अनुसार, यह प्रतीकात्मक स्थल किसानों के प्रति समाज का सम्मान प्रकट करने के लिए बनाया गया है। उन्होंने बताया कि मूल मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित है, जिसकी मूर्तियों को महाकुंभ में लाकर किसानों के योगदान को राष्ट्रीय मंच दिया गया है। उनका उद्देश्य है कि समाज अन्नदाताओं को देवतुल्य माने, क्योंकि उनकी मेहनत से ही देश का पेट भरता है।

किसान कल्याण बोर्ड की मांग को बल

शैलेंद्र योगीराज जी ने महाकुंभ के माध्यम से एक जरूरी सामाजिक संदेश दिया है। उनका कहना है कि सनातन बोर्ड जैसी संस्थाओं के गठन से पहले किसान कल्याण बोर्ड बनाना चाहिए, ताकि कृषि समुदाय की आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने पर ध्यान दिया जा सके। मंदिर में प्रतिदिन किसानों की खुशहाली के लिए प्रार्थनाएं भी की जाती हैं।

महाकुंभ तक रहेगा आस्था का यह केंद्र

यह मंदिर अंतिम स्नान पर्व तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा। यहां आने वाली महिला भक्तों की बड़ी संख्या इस बात का प्रमाण है कि किसानों के प्रति समाज का सम्मान केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि आस्था से जुड़ा हुआ है। श्रद्धालुओं का मानना है कि किसान देवता का आशीर्वाद ही देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि का आधार है।

कृषि संस्कृति और आध्यात्म का सामंजस्य

महाकुंभ में किसान देवता के मंदिर की स्थापना न केवल धार्मिक आयोजनों में विविधता लाती है, बल्कि यह समाज को कृषि और किसानों के महत्व का स्मरण भी कराती है। यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर किसान सम्मान को गति देने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।

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