फ्रांस की जानी-मानी एयरक्राफ्ट निर्माण कंपनी डसॉल्ट एविएशन उत्तर प्रदेश में एक आधुनिक ट्रेनिंग और शैक्षणिक केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है। यह केंद्र युवाओं को विमानन क्षेत्र से जुड़ी स्किल्स में प्रशिक्षित करेगा और साथ ही कंपनी में अप्रेंटिसशिप व रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएगा। इस योजना को लेकर यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के पास प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें कंपनी ने ट्रेनिंग सेंटर के लिए जमीन मांगी है।
10वीं और 12वीं पास छात्रों के लिए होंगे विशेष कोर्स
YEIDA के सीईओ अरुण वीर सिंह ने जानकारी दी कि डसॉल्ट एविएशन केंद्र सरकार के स्किल डेवलपमेंट और डिफेंस मंत्रालय के सहयोग से यह प्रशिक्षण केंद्र शुरू करना चाहती है। इस संस्थान में हाई स्कूल और पॉलिटेक्निक छात्रों के लिए एयरोनॉटिक्स, एयरक्राफ्ट रिपेयर और मेंटेनेंस (MRO) जैसे कोर्स उपलब्ध होंगे।
कंपनी का लक्ष्य है कि 10वीं पास छात्रों के लिए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में तीन साल का कोर्स और एक वर्षीय डिप्लोमा, जबकि 12वीं पास छात्रों के लिए बीएससी इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस की पढ़ाई कराई जाए।
सेकेंड फेज में मिल सकती है जमीन
डसॉल्ट एविएशन को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दूसरे चरण में विकसित किए जा रहे 1,365 हेक्टेयर आरक्षित क्षेत्र में ज़मीन मिलने की संभावना है। यह इलाका विशेष रूप से MRO हब (Maintenance, Repair, and Overhaul) और विमानन से जुड़ी सुविधाओं के लिए निर्धारित है। एमआरओ हब की स्थापना से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार भी खुलेंगे।
अन्य एयरक्राफ्ट कंपनियों के साथ मिलकर काम की योजना
डसॉल्ट एविएशन इस क्षेत्र में तीन से चार अन्य प्रमुख एयरक्राफ्ट निर्माण कंपनियों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से MRO इकाइयां विकसित करने पर विचार कर रहा है। कंपनी का प्लान है कि वह नागरिक और सैन्य दोनों तरह के विमानों के रखरखाव और मेंटेनेंस कार्य को यहां से संचालित करे।
भारत में MRO बाजार का तेजी से हो रहा विस्तार
एक औद्योगिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का MRO मार्केट 2021 में 1.7 बिलियन डॉलर का था, जो 2030 तक 7 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इस दौरान भारत में नागरिक विमानों की संख्या 700 से बढ़कर 1,100+ हो जाने की उम्मीद है। इस बढ़ती जरूरत को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विशेष MRO नीति भी लागू की है, जिसके तहत निवेश करने वाली कंपनियों को 5% से 12% तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।