सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भी गौवंशों की दशा सुधरने का नाम नहीं ले रही है। गौशालाओं को नाम पर जगह-जगह बड़ा खेल खेला जा रहा है। लेकिन जिम्मेदार इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। गौशालाओं के ठेकेदार सिर्फ कागजों में गायों को पालने के लिए लाखों रुपए की निकासी कर रहे हैं लेकिन धरातल पर गायों की बुरी दशा है।
यह खबर मऊरानीपुर के बड़ागांव की हैं। जहां सरकार ने ग्रामीणों की डिमांड पर गांव में गौशाला तो बनवायी, यहां गांव के जानवरों को रखने की व्यवस्था थी। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान दबंग लोगों के साथ मिलकर गौशाला में दूसरे गांवों की गायों को रख रहे हैं और गोपालकों से मनमाना पैसा वसूल रहे हैं।
ग्रामीणों द्वारा इसकी शिकायत भी की गयी। लेकिन ग्राम प्रधान और सचिव किसी की नहीं सुन रहे हैं। इसीलिए गांव में घूम रही आवारा गायों को गौशाला से बाहर कर दिया गया है। जबकि प्रशासन द्वारा ग्रामीणों से कहा कि गायों के लिए चारे की व्यवस्था नहीं है तो ग्रामीणों के द्वारा सात ट्राली भूसा दान के रूप में दिया गया था। तब गौशाला अगस्त माह मे संचालित की गयी थी। जबकि पैसा जुलाई माह से निकाला जा रहा है।
इसके साथ ही गायों के लिए खाने-पीने का इंतजाम पर्याप्त न होने का भी आरोप लोगों ने लगाया। तो वहीं गौशाला के आसपास कई गाय मरी हुई पड़ी है। वहीं वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि मरी हुई गायों को वन विभाग की जमीन पर फेंक दिया जाता है। जिसके संबंध में उच्च अधिकारियों को अवगत भी करा दिया गया है।
आपको बता दें कि सरकार के द्वारा जहां गौशाला पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। तो वहीं गौशाला की व्यवस्थाओं को लेकर स्थानीय लोगों का आरोप है कि लाखों रुपए का बंदर बांट किया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने पूरे मामले की जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार गौवंशों को लेकर बेहद संवेदनशील है। राज्य में गायों के संरक्षण के लिए महत्वकांक्षी योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन जिम्मेदार धन के लालच के चक्कर में सरकारी पैसे की बंदर-बांट कर रहे हैं। जिसके चलते गोवंशों की दशा काफी खराब है। ऐसे प्रशासन को दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।