भारत सरकार एक तरफ जहां गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी व ग्रामीण अंचलों में निशुल्क घर मुहैया करा रही है तो वहीं अवैध वसूली के चलते लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
भारत सरकार गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी व ग्रामीण अंचलों में गरीबों को निशुल्क आवास मुहैया करा रही है। लेकिन ग्रामीण अंचलों में ग्राम प्रधानों व सेक्रेटरी द्वारा अत्यधिक अवैध वसूली के चलते गरीबों के आवास अधूरे बने हैं और खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है।
ऐसा ही एक मामला जनपद सीतापुर के थाना तंबौर क्षेत्र में सोहरिया ग्राम पंचायत के मजरा रानीपुरवा से निकल कर आया है जहां पर लाभार्थी को आवास योजना का लाभ तो मिला लेकिन उसके बावजूद भी लाभार्थी अपने परिवार संग तिरपाल डालकर खुले में रहने के लिए मजबूर है।
लाभार्थी सुनीता बताती हैं की आवास बनाने को लेकर पूरा पैसा मिल चुका है। लेकिन पहले ही किस्त में ग्राम प्रधान द्वारा ₹20 हजार रुपए ले लिए गए और दूसरी किस्त में ₹10 हजार और वसूल लिए गए। जिसमें 2 हजार सेक्रेटरी ले गया। कुल 1 लाख 40 हजार रुपए की रकम में 32 हज़ार रुपए के बंदरबाट के बाद फिर प्रधान द्वारा, ऊपर के अधिकारियों को देने के लिए पैसा मांगा जा रहा है। सुनीता यह भी बताती हैं कि 32,000 वसूलने के बाद अब उनका आवास अधूरा पड़ा हुआ है आवास पर छत नहीं पड़ पा रही है जिसके चलते वह खुले में रहने के लिए मजबूर हैं।
वहीं पीड़ित सुनीता द्वारा इसको लेकर ब्लॉक के अधिकारियों से लेकर जिले के अधिकारियों तक की शिकायत की है। इसके बावजूद भी जिम्मेदार कोई शुध नहीं ले रहे हैं। ऐसे में लाभार्थी सुनीता ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसे भ्रष्ट ग्राम प्रधान व पंचायत सेक्रेटरी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।