सीएम योगी की अध्यक्षता में राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 170वीं बैठक संपन्न हुआ। इस बैठक में सीएम द्वारा किसानों का हित संरक्षण सुनिश्चित करते हुए विभिन्न दिशा-निर्देश भी दिए हैं। प्रमुख निर्णय इस प्रकार हैं…
- राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए, किये जा रहे प्रयास की सराहा है। मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व से संग्रह में मंडियों का अच्छा योगदान है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में जहां ₹1553 करोड़ की आय हुई थी, वहीं 2023-24 में लगभग ₹1862 करोड़ की आय हुई।
- वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में लगभग ₹400 करोड़ का राजस्व संग्रहीत हो चुका है। मंडी शुल्क न्यूनतम होने के बाद भी मंडियों से राजस्व संग्रह में हुई बढ़ोतरी सराहनीय है। यह राजस्व किसानों के हित में ही व्यय किया जाए।
- मंडी किसानों के लिए है। दूरदराज से किसान अपनी फसल लेकर यहां आता है। ऐसे में यहां उनकी सुविधा और सुरक्षा के सभी प्रबंध होने चाहिए। मंडियों में साफ-सफाई, जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो। प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो। जलभराव की स्थिति न हो। शौचालय/पेयजल के पर्याप्त इंतज़ाम रखें। यहां किसानों के लिए विश्राम कक्ष और सस्ते दर वाली कैंटीन की व्यवस्था भी कराई जाए।
- मंडी परिसर में कहीं भी अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। जिस दुकान का जितना क्षेत्र है, उसका फैलाव उस सीमा के अंदर ही होना चाहिए। इस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू कराएं।
- नव स्थापित प्रसंस्करण इकाई को मंडी शुल्क से छूट देने की व्यवस्था का सरलीकरण किया जाना चाहिए। वर्तमान में इकाई स्थापना के दिनांक से छः माह के भीतर मंडलायुक्त के समक्ष आवेदन करना होता है, जिसे मंडलायुक्त द्वारा रिपोर्ट के लिए जिला मैजिस्ट्रेट को भेजा जाता है। इस व्यवस्था का सरलीकरण करते हुए इकाई द्वारा आवेदन सीधे जिला मैजिस्ट्रेट के समक्ष ही किया जाए और जिला मैजिस्ट्रेट द्वारा अगले 07 दिनों में रिपोर्ट के लिए मंडी समिति को भेज दिया जाए।
- गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बरीपाल और मुरादाबाद की मंडी समिति में खाद्य तेलों पर यूजर चार्ज लिए जाने की व्यवस्था है। व्यापारियों के हित में इसे समाप्त किया जाना चाहिए। यदि कोई व्यापारी वर्ष भर में मंडी की दुकान से जितने मूल्य के खाद्य तेलों का व्यापार करे, न्यूनतम उतने ही मूल्य के कृषि उत्पाद, जिन पर मण्डी शुल्क या यूजर चार्ज लिया जाता है, का भी भी व्यापार करे तो उनसे खाद्य तेल पर यूजर चार्ज न लिया जाए।
- मंडी परिषद एवं मंडी समितियों में विभिन्न विभागीय सम्पत्तियों की नीलामी को शुचितापूर्ण और पारदर्शी बनाने के लिए ‘मैनुअल के स्थान पर ई-ऑक्शन’ व्यवस्था लागू किया जाए।
- माननीय जनप्रतिनिधियों द्वारा ग्रामीण अंचलों के अतिरिक्त कतिपय नगरीय क्षेत्रों में भी हाट-पैठ निर्माण कराये जाने की माँग की जाती रही है। इसका सम्मान करते हुए जिन नगर पंचायत, नगर पालिका अथवा नगर निगम में स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप अच्छे हाट-पैठ बनाए जाएं। नए अधिसूचित नगरीय निकायों को प्राथमिकता दें। हाट-पैठ बनने के बाद संबंधित मंडी समिति द्वारा इसे नगर पंचायत, नगर पालिका अथवा नगर निगम को हस्तान्तरित कर दिया जाए।हाट-पैठ के संचालन/अनुरक्षण/साफ-सफाई तथा परिसम्पत्तियों की सुरक्षा व्यवस्था का दायित्व संबंधित नगरीय निकाय का होगा।
- मंडी समिति द्वारा कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या), बाँदा एवं कानपुर में छात्रावास तैयार कराया गया है। वर्तमान में कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या) एवं बांदा में छात्रावास निर्माणाधीन है। इसी प्रकार, कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, कानपुर, बांदा में एक-एक छात्रावास का निर्माण कराया जाए और कुमारगंज (अयोध्या) में निर्माणाधीन छात्रावास की क्षमता 100 से बढ़ाकर 150 की जाए।
- कृषि फसलों की सुरक्षा के लिए मंडियों में कोल्ड रूम तैयार कराया जाए। इससे किसान अपनी फसल को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकेंगे।
- फसलों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए गुणवत्ता पूर्ण रोपण सामग्री, बागवानी फसलों के गुणवत्ता पूर्ण रोपण एवं रोग मुक्त बनाने के लिए चारों कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मंडी परिषद द्वारा की जाएगी। इसी प्रकार, रायबरेली में एक उद्यान महाविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। इस संबंध में संभावनाओं का अध्ययन कराएं।
- उपकार जैसी संस्थाओं को और व्यवस्थित तथा उपयोगी बनाये जाने की आवश्यकता है। यहां विशेषज्ञों की तैनाती हो। नवाचार को प्रोत्साहन मिले। शोध-अनुसंधान की नई गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए।
- विगत 07 वर्षों में राज्य मंडी परिषद द्वारा किसान हित में अनेक नवाचार किये गए हैं। कृषि विपणन के लिए मंडियों की उपयोगिता बढ़ी है। राज्य सरकार द्वारा किसान कल्याण की अनेक योजनाएं भी संचालित की जा रही है। इन सभी विषयों को समाहित करते हुए मंडी परिषद द्वारा त्रैमासिक न्यूज़ लेटर का प्रकाशन कराया जाना चाहिए। यह न्यूज़लेटर डिजिटल भी हो। इसे किसानों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए।