नोएडा में आम लोगों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए सिटी बस योजना पर कां शुरू हो चुका है। जिससे प्रतिदिन 4 लाख से ज्यादा लोगों को आने-जाने में साहूलियत मिलेगी। सिटी बस सुविधा नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस से होते हुए दिल्ली के 22 रूटों पर चलेंगी। इन बसों की लंबाई 9 मीटर है और पहले फेज में 100 बस चलाने की योजना पर जोर दिया जा रहा है।
बता दें कि एस बार जो कंपनी बस संचालन का जिम्मा उठाएंगी वही कंपनियां पूरा खर्च भी वहन करेंगी। हाँ, नोएडा प्राधिकरण बस स्टॉप, बस खड़े होने की जगह, बस का रूट और बस अड्डा को फाइनल करके देगी। जिसके लिए, लखनऊ की टीम सर्वे करने में जुटी हुई है।
नोएडा से ग्रेनो वेस्ट रूट पर बसों का संचालन आज के समय में लोगों की बेहद महत्वपूर्ण आवश्यकता बन चुकी है। बता दें कि ग्रेनो वेस्ट की आबादी 4 लाख के करीब है। यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर ऑटो का सहारा है। इसलिए नोएडा से ग्रेनो वेस्ट आने-जाने के लिए, बसों का संचालन बेहद ज़रुरी है।
नोएडा से ग्रेटर नोएडा और नोएडा की मुख्य सड़कों पर बसों का संचालन किये जाने का प्लान है। नोएडा के अलावा प्रदेश के 10 शहरों में लखनऊ की ये टीम बस को सुचारू रूप से चलाने के लिए सर्वे कर रही है। इस सर्वे में रूट को फाइनल करने के साथ ही बसों की यूटिलिटी को भी परखा जा रहा है।
दो महीने पहले सेक्टर-55 के एक निजी होटल में नोएडा-ग्रेनो प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था जिसमें कुछ कंपनियों ने बसें चलाने को प्रस्तुतीकरण किया था। इसके बाद प्राधिकरण दफ्तर में भी दो-तीन कंपनियां योजना को लेकर प्रस्तुतीकरण देने पहुंच चुकी हैं।
इन कंपनियों की मांग है कि टिकट से प्राप्त आय के साथ ही बस और स्टैंड पर विज्ञापन का अधिकार भी उन्हें दिया जाए। ऐसे में जिन कंपनियों ने प्रस्तुतीकरण दिया था उन पर मंथन कार्य जोरों से चल रहा है।
प्राधिकरण सीईओ लोकेश एम ने इस संदर्भ में कहा कि, कंपनियां चाहती हैं कि बस चलाने में जो उन्हें घाटा आए उसका भार प्राधिकरण उठाए। जिसको वायबिलिटी गैप फंड कहा जाता है लेकिन अधिकारियों ने कहा कि यह संभव नहीं है। बसें चलाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर देंगे। डिपो भी देंगे लेकिन बस संचालकों को आय के स्रोत स्वयं ही ढूंढने होंगे।
करीब तीन से चार साल पहले तक नोएडा-ग्रेनो के बीच 50 एसी बसों का संचालन होता था। पर मार्च 2020 में कोरोना ने यहां के आवागमन को पूरी तरह से बंद कर दिया। पर जब कुछ महीने बाद फिर से इन बसों को चलाने की तैयारी की गई तो यह बात सामने आया कि, इन बसों के संचालन में काफी घाटा हो रहा था और प्राधिकरण को वहन भी करना पड़ रहा था।
ऐसे में अधिक घाटा होने की बात कहते हुए इन बसों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दिया गया और संबंधित कंपनी के साथ एग्रीमेंट को खत्म कर दिया गया।