1. हिन्दी समाचार
  2. आगरा
  3. राष्ट्र के विकास का द्योतक है शिक्षा और भ्रष्टाचार मुक्त परिवेश, जहां छल-कपट का कोई स्थान नहीं

राष्ट्र के विकास का द्योतक है शिक्षा और भ्रष्टाचार मुक्त परिवेश, जहां छल-कपट का कोई स्थान नहीं

राष्ट्र चाहे जितना विशाल हो... वहां की जनसंख्या चाहे जितना कामगार हो पर यदि, उसे भ्रष्टाचार का दीमक लग जाए और वहां की शिक्षा राजनीति की पंगू बन जाए तो उस राष्ट्र के सूर्य को अस्त होने से कोई भी नहीं बचा सकता है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
Updated:
राष्ट्र के विकास का द्योतक है शिक्षा और भ्रष्टाचार मुक्त परिवेश, जहां छल-कपट का कोई स्थान नहीं

राष्ट्र चाहे जितना विशाल हो… वहां की जनसंख्या चाहे जितना कामगार हो पर यदि, उसे भ्रष्टाचार का दीमक लग जाए और वहां की शिक्षा राजनीति की पंगू बन जाए तो उस राष्ट्र के सूर्य को अस्त होने से कोई भी नहीं बचा सकता है। इसलिए यह जरूरी है की राष्ट्र की सरकार, अपने राज्य के पर्यावरण में इन दीमकों को न लगने दें और समय-समय पर देश के बदलते वातावरण को पहचाने और यदि आवश्यक हो तो उसे फिर से उसके उचित मार्ग पर लाने का प्रयास करें। ताकि समय रहते राष्ट्र की बहुमूल्य धरोहर भ्रष्टाचारियों का अग्रासन बनकर इतिहास के किसी काले पन्ने में दफन न हो जाए।

इसी के साथ यह भी पता होना चाहिए कि किसी भी राष्ट्र के विकास का प्रतिबिंब उस राष्ट्र के शिक्षा और भ्रष्टाचार मुक्त परिवेश से होकर गुजरता है, जहां पर छल-कपट का कोई स्थान नहीं होता है। और जिसे उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान अच्छे से जानती है। इसलिए तो उन्होंने अपना जीवन समाजसेवी और स्वयंसेवी संगंठनों से हमेशा जोड़े रखा है। ऐसे में उन्हें अपने नाक के नीचे कोई गलत काम होते दिख जाए तो वह संबंधित व्यक्ति या विभाग को चैन से सोने नहीं देती और तब-तक उनके पीछे लगी रहती हैं जब तक सामने वाला अपनी गलती स्वीकार कर उसमें कोई सुधार न कर ले। वैसे भी यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के अंतर्गत शायद ही कोई भ्रष्टाचार या राजनीति लोगों के जीवन मूल्यों के साथ खिलवाड़ करने का जोखिम उठाए फिर बबीता चौहान ने तो यूपी की महिला आयोग अध्यक्ष का कार्यभार सीएम योगी से मुलाकात और आशीर्वाद के बाद उठाया है। तो ऐसे में राज्य के विकास के मार्ग से भला कौन ऐसा हो सकता है जो सरकार के एथिक्स को हिलाकर अपनी रोटियों को सेंकने का प्रयास करे।

पर कहावत है रात के बाद दिन तो आना ही है और आप चाहे जितना अच्छा अपने राज्य के लिए कर रहे हों, कुछ लोग आपके सफेद वस्त्र में कालिख पोंछने के लिए कोई-न कोई रास्ता धूढ़ते रहते हैं फिर वह रास्ता चाहे लोगों से किसी काम के बदले रुपये लेकर किया जाए या फिर विद्यालय जैसे शुद्ध संस्थान में बच्चों को मोहरा बनाकर अपने स्वार्थ को सिद्ध करना हो… कहीं-न-कहीं से तो धागे का रेशा बाहर तो आ ही जाता है।

लेकिन इन रेशों को नहीं पता कि इनका बुनकर बबीता चौहान और सारथी के रूप में स्वयं योगी आदित्यनाथ रथ को संभाले हुए हैं। आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले यूपी की महिला अध्यक्ष बबीता चौहान को आगरा के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय सैंया से अध्यापकों से संबंधित कई नकारात्मक फीडबैक मिले थे जिस संबंध में वे वहां जांच करने पहुंची थी। उन्होंने निरीक्षण के बाद अध्यापकों को गुटबाजी करने और उसमें विद्यार्थियों को शामिल करने के लिए फटकारा और मानवता दिखाते हुए उन्हें अंतिम मौका देते हुए कहा कि भविष्य में उनसे गलती नहीं होनी चाहिए नहीं तो परिणाम बहुत कठोर होगा।

वहीं आधार केंद्र के उन कर्मचारियों को भी डांट लगाते हुए कहा कि उन्हें जिस काम के लिए सरकार रुपये देती हैं क्या वह उनके लिए व्याप्त नहीं है। वे 150 और 200 रुपये लेकर क्या राज्य को योगी सरकार का नाम नहीं खराब कर रहे हैं जबकि ये सुविधाएं तो सरकार ने मुफ्त कर रखी हैं। फिर उन्होंने केंद्र मैनेजर को आड़ें हाथ लेते हुए कहा कि क्या उन्हें यहां आधार संशोधन केंद्र में नहीं दिख रहा कि यहां कितनी अव्यवस्था है और तत्काल महिलाओं के लिए अलग काउंटर बनाने की मांग की। फिर उन्होंने फेयर वॉर्निंग देते हुए कोई कार्रवाई करने के निर्देश तो नहीं दिए पर हां, इतना जरूर कहा कि यदि अब उन्हें कोई ऐसी निंदनीय सूचना उनके बारे में मिलती है तो वह परिणामों के लिए तैयार रहें क्योंकि तब वो किसी भी सूरत में उन्हें नहीं छोड़ेंगी।

ऐसे में बबीता चौहान के बारे में यह तो स्पष्ट है कि वह निर्णय लेने में जरा-सा भी नहीं हिचकचाती पर, मां की तरह मौका देकर उन्हें सत्य की राह पर आने का अवसर भी देती हैं जो कि उनके बड़प्पन को प्रदर्शित करता है। जो कि एक राज्य या राष्ट्र के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाता है।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें गूगल न्यूज़, फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...