शिक्षा विभाग के अधिकारियों और प्रधानाचार्यों की लापरवाही से स्कूल में बच्चों को मिड डे मील नहीं मिल रहा है। जिसके चलते सरकार की महत्वकांक्षी योजना को पलीता लग रहा है।
यह मामला बिजनौर के गांव जमालपुर मीमला के उच्च प्राथमिक विद्यालय का है, जहां स्कूल की प्रधानाचार्य दीपा रानी द्वारा 3 सप्ताह से बच्चों को मिड डे मील में मिलने वाला दूध और फल वितरित नहीं किया गया।
मिड डे मील के खाते में धनराशि मौजूद होने के बावजूद भी स्कूली बच्चे, दीपा रानी की तानाशाही का दंश झेल रहे हैं। हालांकि इस मामले में जब मुख्य अध्यापिका दीपा रानी से बात की गई तो उन्होंने मिड डे मील का चार्ज रखने से साफ इनकार कर दिया है। दीपा रानी ने कहा कि वो इस जिम्मेदारी को नहीं निभा सकती।
वहीं ग्राम प्रधान का कहना है कि विभाग पर पांच महीने का पैसा फंसा हुआ है। जिसके कारण बच्चों को नियमित रूप से मिलने वाला दूध और फल नहीं दे पा रहे हैं। फिलहाल इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि शिक्षकों के आपसी मनमुटाव के चलते बच्चों को फल और दूध वितरित नहीं पा रहे हैं। जल्द ही इस मामले का समाधान किया जाएगा।
ऐसे में जहाँ एक तरफ योगी सरकार सरकारी स्कूलों को मजबूती देने के लिए तमाम प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी ओर अधिकारी और शिक्षकों की मनमानी के चलते सरकार की महत्वकांक्षी मिड डे मील योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। जो कि योगी सरकार की आकांक्षाओं को पलीता लगाने जैसा है।