लखनऊः यूपी को अगले पांच साल में वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने में जुटी योगी सरकार ने प्रदेश के सात सौ से ज्यादा नगरों को लेकर सुनियोजित ढंग से कार्य करना शुरू कर दिया है। फिलहाल प्रदेश में मौजूद 10 स्मार्ट सिटी सहित सभी नगर निगमों को सेफ और स्मार्ट सिटी के रूप में तेजी से डेवलप किया जा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री की मंशा प्रदेश के 762 नगर निकायों के कायाकल्प के जरिए यूपी को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य तय करने को लेकर है। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र के अनुसार नगरों का विकास सस्टेनेबल ग्रोथ के तीन स्तंभों पर आधारित है, जिससे की विकास की पूरी प्रकिया को स्थाई रूप प्रदान किया जा सके।
समाजिक स्थिरता और पर्यावरण भी प्राथमिकता
उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी वाला प्रदेश बनाने के लिए सरकार का फोकस ना केवल आर्थिक मोर्चे पर है, बल्कि समाज और पर्यावरण भी सरकार की प्राथमिकता में है। दरअसल, प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, व्यवसाय, सामान्य अवस्थापना, पीने के लिए शुद्ध पेयजल, अस्पताल, बिजली, सड़क और आवास के लिए योगी सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मिशन टू मूवमेंट के जरिए अपना लक्ष्य तय कर रही है। सरकार प्रदेश के विकास के हर मिशन को जनआंदोलन का रूप देना चाहती है। इसी नजरिए के साथ प्रदेश के सभी 762 नगरों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर ही डेवलप करने को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है।
ICCC से जुड़े नगर निगम और स्मार्ट सिटी
मुख्य सचिव के अनुसार स्मार्टनेस की हमारी अवधारणा गेटिंग मोर फ्रॉम लेस की है। यानी संसाधनों का अधिक से अधिक यूटिलाइजेशन हो। इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ साथ टेक्नोलॉजी पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यक्ता है। जैसे, प्रदेश के सभी स्मार्ट सिटी और नगर निगमों को आज इंटिग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर (ICCC) से जोड़ा जा चुका है। कोरोना काल में आई ट्रिपल सी ने शानदार काम किया था। मगर आज इनके जरिए एक ही छत के नीचे से पूरे शहर को मैनेज किया जा सकता है। ये आई ट्रिपल सी आज नगरों के नर्व्स और ब्रेन दोनों बन चुके हैं।
विकास की प्रक्रिया के साथ खुद जुड़े जनता
मुख्य सचिव के अनुसार सोशल सस्टेनेबिलिटी के जरिए आम जनता को विकास की प्रक्रिया के साथ जोड़ना है। जनता खुद विकास कार्यों से जुड़े, पर्यावरण के महत्व को समझे, हमारे प्राचीन भारतीय मूल्यों के साथ जुड़कर विकास के कार्यों में सहभागी बने। हर कोई जानता है कि यूपी में नदियों का जाल है, ज्यादातर हिमालयी नदियों में सालभर पानी रहता है। बावजूद इसके कई नदियां मृतप्राय हो गई थीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जनता का नदियों से जुड़ाव खत्म होने लगा था। धीरे धीरे नदियां कूड़ा और औद्योगिक कचरा ढोने वाली वाहिकाएं बनने लगीं। मगर योगी सरकार में यूपी में 50 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित किया जा चुका है। इसी प्रकार ऐसे तमाम पोखरे तालाब लगभग मर चुके थे। आज उन्हें अमृत सरोवर का रूप दिया गया है। इनके पास अमृत वन बनाए गये हैं। तालाबों पर घाट बन गये हैं। यानी विकास की प्रक्रिया को हमारे मूल्यों के साथ जोड़ते हुए जनता को कनेक्ट करने का कार्य भी किया जा रहा है। क्योंकि विकास को जबतक लोगों के साथ नहीं जोड़ेंगे वो सस्टेनेबल नहीं होगा।
कार्बन फुटप्रिंट को जीरो करने का संकल्प
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2070 तक कार्बन फुटप्रिंट को जीरो करने का संकल्प लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार भी प्रदेश में लाइफस्टाइल को इनवायरमेंट फ्रेंडली बनाने में लगी है। मुख्य सचिव के अनुसार हमें संसाधनों का दोहन नहीं करना है। बल्कि सरकार का विशेष बल जनता के बिहेवियरल चेंज पर है। सरकार संसाधनों के रिड्यूस, रियूज और रिसाइकिल के जरिए एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी के फॉर्म्यूले पर काम कर रही हैं।
नई व्यवस्थाओं को क्रियेट करने पर फोकस
ठीक ऐसे ही इकोनॉमिकल सेस्टेनेबिलिटी में नवाचार के जरिए नई व्यवस्थाएं कैसे क्रियेट करें इसे लेकर सरकार का पूरा फोकस है। आज प्रदेश के युवाओं में इनोवेशन करने की चाहत बहुत तेजी से बढ़ रही है। नये स्टार्टअप तेजी से सामने आ रहे हैं। युवा वर्ग स्टार्टअप के जरिए अपना भविष्य संवारने में जुटा है। हॉर्टीकल्चर, कल कारखाना, पॉवर सेक्टर, रोड सेक्टर, रियल स्टेट जैसे टेक्नोलॉजी से जुड़ सेक्टर के अलावा हर क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर नवाचार हो रहे हैं। दरअसल हर नवाचार में टेक्नोलॉजी केवल लिफाफा भर है। इसमें सस्टेनेबिलिटी तब आएगी जब हम अपने इनोवेशन को समाज और पर्यावरण के अनुकूल रखते हैं। सरकार समाज, पर्यावरण और अर्थतंत्र तीनों के स्थाई विकास के लिए कार्य कर रही है।