नोएडा के रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने छह प्रमुख बिल्डरों के खिलाफ करीब ₹3000 करोड़ की वित्तीय अनियमितता के आरोपों की जांच प्रारंभ कर दी है। यह कार्रवाई नोएडा प्राधिकरण द्वारा सीधे ईओडब्ल्यू से की गई शिकायत के आधार पर शुरू हुई है।
इन बिल्डरों पर आरोप है कि उन्होंने खरीदारों से फ्लैट बुकिंग के नाम पर भारी रकम वसूल की, लेकिन यह पैसा प्राधिकरण में जमा करने के बजाय अन्य प्रोजेक्ट्स और निजी हितों में लगा दिया। अब इन परियोजनाओं में अधूरी निर्माण स्थिति और बायर्स की रजिस्ट्री अटकी हुई है।
आवंटन नीति का दुरुपयोग कर 10% भुगतान पर हथियाए भूखंड
पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में इन बिल्डरों ने महज 10 प्रतिशत भुगतान पर नोएडा प्राधिकरण से भूखंडों का आवंटन प्राप्त कर लिया। इसके बाद आकर्षक ब्रोशर और वादों के दम पर फ्लैटों की बिक्री की गई। नतीजतन, अनेक परियोजनाएं अधूरी रह गईं, जिससे हजारों खरीदार ठगे गए।
जहां कुछ लोगों को फ्लैट मिले भी, वहां प्राधिकरण की देनदारियां चुकता न होने के कारण उनकी रजिस्ट्री नहीं हो सकी। इस संकट को देखते हुए केंद्र सरकार के पूर्व सचिव अमिताभ कांत की अध्यक्षता में सिफारिश की गई थी कि बिल्डर कुल बकाया का 25 प्रतिशत जमा कर राहत पा सकते हैं। लेकिन अधिकांश बिल्डरों ने इन सिफारिशों को नजरअंदाज किया।
EOW ने मांगे दस्तावेज, हवाला कनेक्शन की भी जांच
नोएडा प्राधिकरण द्वारा लगातार नोटिस जारी करने के बावजूद जब बिल्डरों ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया, तब EOW दिल्ली को जांच का अनुरोध किया गया। ईओडब्ल्यू ने अब प्राधिकरण से भूमि आवंटन, लीज डीड, वित्तीय भुगतान, ब्रोशर और प्रोजेक्ट संबंधित अन्य दस्तावेज़ मांगे हैं।
इस मामले में हवाला ट्रांजैक्शन की संभावना को भी खंगाला जा रहा है, जिससे संदेह है कि बायर्स का पैसा देश से बाहर भेजा गया हो सकता है। अधिकारियों के अनुसार, प्राधिकरण इन सभी दस्तावेज़ों को शीघ्रता से ईओडब्ल्यू को सौंपेगा।
तीन बिल्डरों पर ₹1767 करोड़ का बकाया
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एसो टेक लिमिटेड (GH-4A, सेक्टर-78): ₹88 करोड़
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GSS प्रोकॉन (GH-1C, सेक्टर-143B): ₹90.54 करोड़
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ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज (2 प्रोजेक्ट्स): ₹1589.27 करोड़
अन्य तीन बिल्डरों पर ₹1425 करोड़ का बकाया
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शुभकामना बिल्डटेक (GH-5, सेक्टर-137)
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IVR प्राइम डेवलपर (GH-1, सेक्टर-118)
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सेठी बिल्डवेल (GH-02B, सेक्टर-76)
इन सभी प्रोजेक्ट्स में फ्लैट निर्माण अधूरा है और बकाया राशियों का भुगतान न होने से खरीददार बुरी तरह प्रभावित हैं। कोविड काल में दी गई राहत का भी लाभ बिल्डरों ने नहीं उठाया।