लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के स्मारक समिति के खातों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने सीज कर दिया है। इसके साथ ही, EPFO ने बकाया 48 करोड़ रुपये की राशि भी खाते से निकाल ली है। इस कार्रवाई के कारण समिति के करीब 6 हजार कर्मचारियों की मार्च माह की सैलरी अटक सकती है, जिससे कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
यह मामला वर्ष 2023 से जुड़ा हुआ है, जब लखनऊ और नोएडा स्थित स्मारकों में कार्यरत कर्मचारियों के Provident Fund (PF) accounts से करोड़ों रुपये की जालसाजी कर निकाले गए थे। इस फर्जीवाड़े का मामला अदालत में चल रहा था, जिसके बाद EPFO ने LDA पर 48 करोड़ रुपये की बकायेदारी तय की थी।
एलडीए ने कोर्ट में दी थी चुनौती, फिर भी सीज हुए खाते
EPFO द्वारा बकाया राशि को लेकर 2023 में नोटिस जारी किया गया था, जिसके खिलाफ LDA ने अदालत का रुख किया और कोर्ट से स्टे ऑर्डर (Stay Order) प्राप्त कर लिया। हालांकि, मार्च क्लोजिंग से पहले EPFO ने अचानक स्मारक समिति के खाते सीज कर बकाया राशि वसूल ली।
इस पर LDA के वित्त नियंत्रक (Finance Controller) दीपक सिंह ने कहा कि EPFO द्वारा खाते को सीज करने की प्रक्रिया की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में स्मारक समिति के खातों में करीब ₹450 करोड़ की धनराशि उपलब्ध है और कर्मचारियों की सैलरी प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि किसी भी कर्मचारी का वेतन रोका नहीं जाएगा और LDA इस मामले में कानूनी विकल्प तलाशेगा।
सैलरी संकट पर बढ़ी चिंता, LDA की आगे की रणनीति
EPFO की इस कार्रवाई के बाद LDA को अपने कानूनी पक्ष को मजबूत करने की आवश्यकता होगी, ताकि भविष्य में कर्मचारियों की सैलरी से जुड़ी किसी भी समस्या से बचा जा सके। इस पूरे प्रकरण से यह साफ है कि PF fraud के मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है और सरकारी एजेंसियां वित्तीय अनुशासन को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठा रही हैं। अब यह देखना होगा कि LDA कोर्ट में इस फैसले को किस तरह चुनौती देता है और कर्मचारियों की सैलरी को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।