कुशीनगर और महाराजगंज जिले की सीमा पर बहने वाली नारायणी नदी की जलधारा गैनही ड्रेन के जीरो प्वॉइंट से दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित बांध रैन कट और रैट होल में लगभग 20 मीटर कट जाने की वजह से कुशीनगर के दर्जनों गांव के खेतों में खड़ी फसल जलमग्न हो गई। गांव वालों ने जिसकी जानकरी अधिकारियों को दी। जानकारी होते ही आनन-फानन में अधिकारियों ने बांध को बंद करने के लिए मिट्टी की बोरियां डलवा।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि विगत दिनों से हम लोग बाढ़ खंड के अधिकारियों को सूचना दे रहे थे कि बांध में कटाव हो रहा है लेकिन रात में जब बांध एक हिस्से में कट गया तो अधिकारी हीलाहवाली करने पहुंचे और बांध का मरम्मत कार्य कर रहे हैं। अधिकारियों की मनमानी से हम ग्रामीणों को बाढ़ का दंश झेलना पड़ रहा है। जिससे हमारी फसलों के साथ हमारे रहने की जगह पर भी दिक्कत हो रही है। उन्होने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी किसी भी तरह से बात सुनने को तैयार नहीं है।
एसडीएम आशुतोष ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान उनसे पूछा गया कि यहां आप विजिट पर आएं हैं, क्या कंडिशन है? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि अगर पानी गांव के ज्यादा करीब चला जाता तो सफलों की क्षति होती। उन्होंने कुछ गांवों के नाम भी लिए जिसमें क्षति होने की अशंका ज्यादा थी। उन्होंने बताया कि पानी के रिसाव की जानकारी होते ही टीम लगी। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग और जेई साहब की टीम लगी है।
उन्होंने बांध टूटने से पहले ही नियंत्रित कर लिया गया। उन्होंने बताया कि मरम्मत का काम जारी है। उन्होंने बताया कि उम्मीद है कि शाम तक पूरी रिकवरी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि जानकारी होते ही यहां की (कुशीनरगर) और महराजगंज की टीम भी ऐक्टिव है। उन्होंने बताया कि जैसे ही जानकारी हुई दोनों विभाग ऐक्टिव हुए और जो क्षति होने की आशंका थी उसको रोक लिया गया।
मंडल ब्यूरो प्रदीप आनंद श्रीवास्तव की रिपोर्ट।