महाकुंभ के पहले अमृत स्नान (शाही स्नान) का शुभारंभ भव्य तरीके से हुआ। हाथों में तलवार, त्रिशूल और डमरू, शरीर पर भस्म और भभूत से सजे नागा साधुओं ने हर-हर महादेव के जयघोष के साथ संगम में डुबकी लगाई। इस पवित्र स्नान में करीब 2000 नागा साधुओं ने भाग लिया, जो घोड़े, ऊंट और रथ पर सवार होकर संगम पहुंचे।
13 अखाड़ों के संतों का स्नान
सबसे पहले पंचायती निर्वाणी अखाड़े के संत स्नान के लिए संगम पहुंचे। इसके बाद 13 अखाड़ों के साधु-संत बारी-बारी से स्नान करेंगे। इस पवित्र स्नान का हिस्सा बनने के लिए लाखों श्रद्धालु संगम पहुंचे हैं।
श्रद्धालुओं का जनसैलाब
रात 2 बजे से ही संगम क्षेत्र श्रद्धालुओं से भर गया। संगम की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर 10 से 12 किलोमीटर तक केवल भक्तों की भीड़ नजर आई। देश-विदेश से आए श्रद्धालु नागा साधुओं का आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक दिखे।
सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष प्रबंध
महाकुंभ में अमृत स्नान के लिए प्रशासन ने 13 अखाड़ों को 30-40 मिनट का समय दिया है। संगम क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। दुनियाभर से आई मीडिया और 50 से अधिक देशों के श्रद्धालु इस आयोजन का हिस्सा बने।
सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई इंतजाम किए हैं। हालांकि, अरेल घाट पर महिलाओं के लिए कपड़े बदलने की सुविधा न होने से श्रद्धालुओं में नाराजगी देखी गई।
दूसरा अमृत स्नान आज
महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सभी अखाड़ों के साधु-संत आज संगम में स्नान करेंगे। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक व्यवस्था की है।
महाकुंभ: आस्था और भक्ति का संगम
महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु इस भव्य आयोजन में भाग लेकर अपने जीवन को पवित्र बना रहे हैं।