महाकुंभ 2025 में उमड़ी आस्था की लहर न केवल प्रयागराज बल्कि आसपास के तीर्थ स्थलों काशी और अयोध्या पर भी भारी दबाव बना रही है। करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी में स्नान करने के बाद काशी विश्वनाथ और रामलला के दर्शन के लिए इन शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। यदि आप भी स्नान के बाद अयोध्या या काशी जाने की योजना बना रहे हैं, तो थोड़ा रुक जाना बेहतर हो सकता है, क्योंकि इन शहरों में इस समय भीड़ अपने चरम पर है।
अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने गलियों और मंदिरों को भर दिया है। मंगलवार को हनुमानगढ़ी में दो किलोमीटर लंबी कतार देखने को मिली। राम जन्मभूमि मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा हुआ है। सोमवार को रामलला के दरबार में करीब 3.55 लाख भक्त पहुंचे, और दो दिनों में यह आंकड़ा 6 लाख को पार कर गया।
मौनी अमावस्या के महापर्व को लेकर अयोध्या में श्रद्धालुओं का सैलाब और बढ़ने की संभावना है। मंगलवार सुबह से ही 10 लाख से अधिक भक्त सरयू स्नान कर नागेश्वरनाथ महादेव का अभिषेक करने के बाद हनुमानगढ़ी और रामलला के दर्शन के लिए उमड़ पड़े।
प्रयागराज से अयोध्या की दूरी 180 किलोमीटर है। हालांकि, भीड़ इतनी अधिक है कि यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि यात्री कब स्टेशन पहुंचेंगे और कब अयोध्या। रेलवे स्टेशन पर टिकटों की भारी मांग के कारण व्यवस्था संभालना चुनौती बन गया है।
महाकुंभ के श्रद्धालुओं का दबाव काशी विश्वनाथ मंदिर पर भी स्पष्ट नजर आ रहा है। सोमवार को बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए 11 लाख भक्त पहुंचे, जिससे काशी हाउसफुल हो गई। पहली बार सामान्य दिनों में मंदिर रात 1 बजे तक खुला रहा।
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर को लगातार 22 घंटे तक खुला रखा गया। भोर में 2:45 बजे मंगला आरती के बाद दर्शन-पूजन का सिलसिला फिर से शुरू हो गया। मंगलवार को भी देर रात तक मंदिर में दर्शन कराए जा रहे हैं। दशाश्वमेध घाट से गोदौलिया तक का रूट पूरी तरह बंद कर दिया गया, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ। यह कदम भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया।
प्रयागराज में 8 प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें प्रयागराज जंक्शन, फाफामऊ, प्रयागराज संगम, झूंसी, नैनी, छिवकी, रामबाग और सूबेदारगंज शामिल हैं। इसके बावजूद भीड़ इतनी अधिक है कि यात्रियों को संभालना रेलवे और प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है।
रेलवे ने भीड़ को देखते हुए नई व्यवस्था की है। यदि वाराणसी और अयोध्या जाने वाले यात्रियों की संख्या अधिक हो जाती है, तो तुरंत एक नई ट्रेन भेजी जा रही है। इस बारे में स्टेशन पर घोषणा की जा रही है। पहली बार ऐसी घोषणाएं भी सुनाई दे रही हैं कि “यह ट्रेन कहीं नहीं जा रही है, कृपया इसमें न बैठें।”
महाकुंभ में स्नान और अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा के लिए थोड़ा इंतजार करना बेहतर हो सकता है। इस समय अयोध्या और काशी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण सुविधाओं पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे में यदि आप बाद में यात्रा करते हैं, तो आपकी तीर्थ यात्रा अधिक आरामदायक हो सकती है।
महाकुंभ 2025 श्रद्धा, आस्था और भक्ति का महासंगम है, लेकिन इससे जुड़े तीर्थ स्थलों पर बढ़ती भीड़ ने यात्रा को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। चाहे अयोध्या हो या काशी, हर जगह भक्तों का सैलाब उमड़ा हुआ है। प्रशासन और रेलवे व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में यात्रा की योजना बनाते समय भीड़ और समय का विशेष ध्यान रखें, ताकि आपकी तीर्थ यात्रा सुखद और यादगार बन सके।