कुशीनगरः जनपद में बाढ़ से बचाव को लेकर बाढ़ खंड द्वारा हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। इसके बावजूद भी स्थानीय लोगों को आगामी दिनों में आने वाली बाढ़ का खतरा बना रहता है। लोगों का कहना है कि मानसून आने पर विभाग द्वारा काम शुरू कराया जाता है और पानी आ जाने से वो पूरा नहीं हो पाता है। जिस वजह से बाढ़ खंड द्वारा कराए जा रहे कार्यों का कोई मतलब नहीं होता। स्थानीय ग्रामीण तो यहां तक कहते हैं कि बाढ़ खंड द्वारा सिर्फ करोड़ों रुपए खर्च कर कमीशन का खेल खेला जाता है। कुशीनगर के छितौनी बांध की बात करें तो इसकी लंबाई 13 किलोमीटर है। इस बंधे पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं लेकिन उसके बावजूद भी आसपास के गांवों पर अस्तित्व का खतरा मंडराता रहता है। वर्तमान में इस बंधे पर 11 करोड़ 10 लाख रुपए की लागत से ठोकर की पुनर्स्थापना, परको पाइन का काम, रेगुलेटर निर्माण का कार्य कराया जा रहा है। राज्य में जल्द ही मानसून दस्तक देने वाला है। जबकि बाढ़ खंड का कार्य अभी 50 फ़ीसदी भी पूरा नहीं हो पाया है। विभाग की सुस्त चाल के चलते इसी तरह हर साल काम अधूरा रहा जाता है। जिससे जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा कुछ तो अधिकारियों और ठेकदारों की जेब में चला जाता है और कुछ बाढ़ की भेंट चढ़ जाता है। वहीं लोग बाढ़ के चलते अपना सबकुछ गवां बैठते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद भी बी-गैप के बंधों का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। जबकि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर 15 दिन पर समीक्षा बैठक करते हैं। इधर जिम्मेदार कुशीनगर के एक्सईएन फोन तक नहीं उठाते। ऐसे में सवाल ये है कि बाढ़ खंड द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बाद भी क्या ग्रामीणों को इस बार भी बाढ़ का खतरा बना रहेगा।
कुशीनगर से संवाददाता गोविंद पटेल और प्रदीप आनंद श्रीवास्तव की रिपोर्ट