Ghosi Loksabha Election 2024: काग्रेस पार्टी भारत के सबसे पुराने पार्टी में से एक है जो कि साल 1885 में ही ए.ओ ह्यूम के अध्यक्षता में राजनीतिक क्षेत्र में आ चुकी थी। ऐसे में आजादी के बाद घोषी संसदीय सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था लेकिन इतिहास के पन्नों में पहली बार लोकसभा 2024 के चुनाव में पार्टी का नाम ईवीएम मशीन पर नहीं होने वाला है।
वहीं यहां से हाथ का पंजा न होने का मुख्य कारण यह है कि कांग्रेस पार्टी ने इंडी गठबंधन के अंतर्गत इस सीट को अपने गठबंधन पार्टी सपा को सौंप दिया हैं। ऐसे में आजादी के बाद यह पहली बार हो रहा है कि इस सीट से कोई भी कांग्रेस प्रत्याशी नहीं है। उल्लेखनीय है कि पार्टी का जनाधार इस संसदीय सीट से लगातार घटता जा रहा है ऐसे में इस सीट से सपा उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।
1957 से अभी तक 17 बार घोसी में हुए आम चुनाव
वर्ष 1957 से 2019 तक 17 बार घोसी संसदीय सीट पर चुनाव हो चुका है पर केवल चार बार ही कांग्रेस इस सीट को अपने पाले में कर चुकी है। घोसी सीट से केवल प्रत्याशी कल्पनाथ राय ही कांग्रेस की टिकट से दो बार चुनाव जीतकर दिल्ली जा पाए हैं। 1957 में हुए आम चुनाव में घोसी लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के उमराव सिंह विजयी हुए थे पर इसके बाद से घोसी लोकसभा सीट कम्युनिस्ट पार्टी के लिए प्रमुखता से पहचानी जाने लगी। ऐसे में साल 1962, 1967, 1968 और 1971 के आम चुनाव में घोसी लोकसभा सीट पर कम्युनिस्ट का बोलबाला रहा।
फिर 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार शिवराम राय ने यहां से बाजी मारी। उसके बाद 1980 में हुए आम चुनाव में यह सीट एक बार फिर से कम्युनिस्ट पार्टी के पाले में चली गई लेकिन 1984 के चुनाव में यह सीट एक बार फिर से कांग्रेस के पाले में आई और राजकुमार राय कांग्रेस के टिकट पर यहां से सांसद के रूप में चुने गए।
उसके बाद 1989 और 1991 में हुए चुनाव में घोसी सीट पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार कल्पनाथ राय ने मैदान फतह किया लेकिन 1996, के लोकसभा चुनाव में कल्पनाथ राय निर्दल मैदान में उतरे और विजयी हुए। इसके बाद साल 1998 के लोकसभा चुनाव में कल्पनाथ राय एक बार फिर से विजयी हुए पर इस बार वह समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे, बता दें कि इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रजीत चौथे नंबर पर रहे थे।
उसके बाद 1999 में कांग्रेस पार्टी ने कल्पनाथ राय की पत्नी सुधा राय को अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन वह तीसरे स्थान पर ही पहुंच पाई और जीतने में सफल नहीं हुई। बात करें 2004 के लोकसभा चुनाव की तो इस सीट से पुनः कांग्रेस पार्टी ने कल्पनाथ राय की पत्नी सुधा राय को उम्मीदवार बनाया लेकिन वह दुसरे स्थान पर रहते हुए फिर से मैदान फतेह करने से चूंक गयी।
साल 2009 में फिर कांग्रेस पार्टी ने सुधा राय को टिकट दिया पर वह तीसरे स्थान पर रहीं। साल 2014 के आम चुनाव में जब देश में चारों तरफ मोदी लहर थी तब घोसी सीट पर कांग्रेस पार्टी ने राजकुमार सिंह को अपने प्रत्याशी के रूप में चुना पर वे पांचवें स्थान पर आए। इसके बाद 2019 में हुए चुनाव में घोसी लोकसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को टिकट दिया पर वे भी यहां से चुनाव जीत नहीं पाएं और तीसरे स्थान पर रहे। ऐसे में अब 2024 के आम चुनाव में इस सीट से इंडिया गठबंधन के अंतर्गत समाजवादी पार्टी को दिया है। इस तरह घोसी सीट से इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब ईवीएम मशीन में कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह और प्रत्याशी का नाम नहीं होगा।