कानपुर में गंगा का जलस्तर हरदोई में गर्रा नदी में आए उफान के कारण बढ़ गया है। ऐसे में नरौरा और हरिद्वार से कम मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद भी कानपुर बैराज पर पानी का भारी दबाव पड़ रहा है।
वहीं इस सीजन में बैराज से सबसे अधिक 2.63 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिसका प्रभाव प्रयागराज और वाराणसी तक पड़ रहा है। इसी के साथ काली नदी में भी भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया है। जिससे गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है।
पिछले कुछ दिनों से यूपी में सिंचाई विभाग के इंजीनियर इस सवाल का जवाब ढूंढने में लगे थे कि जब नरौरा से 25 से 30 हजार क्यूसेक पानी ही छोड़ा गया तो कानपुर बैराज पर इतनी भारी मात्रा में पानी कहां से आकर भर गया। वहीं जब पड़ताल हुई तो यह पाया गया कि हरदोई से गोसाईगंज में गर्रा नदी का पानी गंगा में आकर मिल रहा है।
आपको बता दें कि वहां(हरदोई) से 1.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसका प्रभाव ये हुआ कि कानपुर बैराज पर पानी का जलस्तर बढ़ा। ऐसे में यहां सभी 30 गेट को खोल दियागया। वहीं अब कानपुर में गंगा चेतावनी रेखा से 1.08 मीटर ही दूर रह गई हैं। ऐसे में शुक्लागंज का जलस्तर 111.92 मीटर पहुंच चुका है। रविवार को यहां का जलस्तर 111.72 मीटर था।
कानपुर बैराज के अप स्ट्रीम में गंगा नदी का जलस्तर 113.3 मीटर डाउन स्ट्रीम में तो वहीं 113.2 मीटर रिकॉर्ड किया गया है। बैराज के गेज रीडर उत्तम पाल ने कहा कि बैराज पर गर्रा नदी से आ रहे पानी का दबाव बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। लिहाजा चौबीस घंटे बैराज तक आ रहे पानी की निगरानी में लगे हुए हैं।
घाटों की सीढ़ियां पानी में जलमग्न
गंगा बैराज के पास स्थित अटल घाट की सीढ़ियां अब डूब चुकी हैं। यही हाल, भैरव घाट, सरसैया घाट, ड्योढ़ी घाट समेत अन्य घाटों का भी है। वहीं जलस्तर बढ़ने से बिठूर स्थित ब्रह्माखूंटी मंदिर पानी में जलमग्न हो चुका है।