वाराणसी शहर में अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने के लिए अब तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने सैटेलाइट से मैपिंग और जियो टैगिंग का कार्य शुरू कर दिया है। इसके जरिए अवैध निर्माणों को चिह्नित कर डिजिटल रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या हेरफेर असंभव हो जाएगा।
कैसे काम करेगी जियो टैगिंग तकनीक?
वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार के आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने एक विशेष डिजिटल सॉफ्टवेयर विकसित किया है। यह सॉफ्टवेयर अनधिकृत निर्माण की निगरानी और नियंत्रण के लिए अत्यधिक प्रभावी साबित होगा।
इसमें निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:
यह प्लेटफॉर्म निर्माण स्थलों की जियो-टैगिंग को आसान बनाएगा और केस से जुड़े सभी दस्तावेज व तस्वीरें सुरक्षित डिजिटल फॉर्म में संग्रहित करेगा।
अब ऑनलाइन नोटिस और रियल टाइम मॉनिटरिंग
वीडीए की योजना है कि आने वाले समय में सभी अवैध निर्माण से संबंधित नोटिस ऑनलाइन माध्यम से जारी किए जाएंगे। नोटिस जारी होने के बाद समय पर जवाब और कार्रवाई की पूरी प्रक्रिया डिजिटल प्लेटफॉर्म से ट्रैक की जाएगी। इसके तहत:
अधिकारियों और कर्मचारियों को इस सिस्टम के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और अवैध निर्माण पर नियंत्रण और अधिक प्रभावी तरीके से हो सकेगा।
सैटेलाइट मैपिंग से मिलेगी सटीक जानकारी
वाराणसी विकास प्राधिकरण ने अवैध निर्माणों की पहचान के लिए किराए पर सैटेलाइट सर्विस ली है। इससे शहर के हर क्षेत्र की नियमित अंतराल पर मैपिंग कराई जाएगी। मैपिंग के जरिए नए निर्माण, पुराने निर्माण में बदलाव और बिना अनुमति के किए गए कार्यों का सटीक डेटा मिल सकेगा। डिजिटल सबूतों के आधार पर ही कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, जिससे कानूनी प्रक्रियाओं में भी मजबूती आएगी और अवैध निर्माण करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो सकेगी।