दिल्ली से सटा जिला गाजियाबाद का नाम तो आपने सुना ही होगा। पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन को गाजियाबाद का नगर निगम किस तरह से साकार कर रहा है आप इस पोस्ट के माध्यम से समझ सकते हैं।
गाजियाबाद शहर में जहां कूड़ा ही कूड़ा है, वहीं गाजियाबाद में 2018 बैच के आईएएस अधिकारी विक्रमादित्य सिंह मलिक शहर में कूड़े नहीं होने की गारंटी दे रहे हैं।
उनका कहना है कि कूड़े का डोर टू डोर क्लेकशन 100 प्रतिशत हो रहा है। वहीं गाजियाबाद मेयर सुनीता दयाल ने नगर आयुक्त पर कूडे़ कलेक्शन को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
आपने गाजियाबाद शहर की प्रथम नागिरक मेयर सुनीता दयाल को कहते हुए सुना होगा कि नगर आयुक्त ने उन्हें बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। एक तरफ जहां उनके पति को घसीटा गया वहीं फाइलों के हेर फेर में बड़ा घोटाला किया गया।
अगर हम मेयर की बात को सत्य मान ले तो गाजियाबाद नगर निगम कहीं न कहीं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. ये भी संभव हो सकता है कि नगर आयुक्त इस बात से अनभिज्ञ हों कि उनके अधीन कार्य करने वाले नगर निगम के अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हों इसीलिए मेयर ये आरोप लगा रही है।
उनका कहना है कि डोर टू डोर क्लेकशन की एक कम्पनी को नगर आयुक्त ने फायदा पहुंचाया है। इससे साफ होता है की नगर आयुक्त विक्रमआदियत्य सिंह मलिक कहीं न कहीं विवादों के घेरे में है।
इसी बीच यूपी की बात की टीम ने गाजियाबाद में कूडा क्लेकशन को लेकर कई बार रियएलटी चेक किया। जिसमे गाजियाबाद नगर निगम पूरी तरह से फेल साबित हुआ है। ऐसे में जब गाजियाबाद नगर आयुक्त से यूपी की बात की टीम ने बात की तो उन्होंने कहा कि अगर आप मुझे 15 स्थानीय लोगों के बारे में बताईए जो ये कहे कि कूड़े की गाड़ी नहीं आती है तो मैं इस पूरे कलेक्शन को ओवरओल कर दूंगा।
अब देखना ये होगा की मीडिया को चैलंज करने वाले नगर आयुक्त कलेक्शन करने वाली कम्पनी को ब्लैकलिस्ट करते हैं या क्या नया एक्शन लेते हैं।