गाजियाबाद नगर निगम के 2 दर्जन से अधिक पार्षदों के पद मुक्त होने का खतरा मंडरा रहा है। जिन पार्षदों ने चुनाव के दौरान गलत सूचनाएं दी अब वह फंसते हुए नजर आ रहे हैं। इन सभी पार्षदों के बारे में मेयर ने कहा कि ये सब शरारती तत्वों का काम जो सदन में किसी तरह घुसना चाहते हैं। तीन महीने पहले हुए नगर निगम चुनाव के दौरान नामांकन दाखिल करते समय इन पार्षदों ने कई तथ्यों को छिपाया था। उन्होंने या तो अधूरी जानकारी दी या फिर गलत जानकारी दी।
जीते हुए पार्षदों के खिलाफ उन्हीं के वार्ड से हारे हुए प्रत्याशियों ने यह आरोप लगाया है। 26 पार्षदों पर निर्वाचन के दौरान नामांकन पत्र के साथ दाखिल किए गए दस्तावेजों में गड़बड़ी और सूचनाएं छिपाने के आरोप लगे हैं। अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो इन पार्षदों का पद से हटना तय माना जा रहा है। हालाकि पार्षद पर चुनाव प्रक्रिया के नामांकन के दौरान जाति प्रमाण पत्र संपत्ति सहित अन्य तथ्यों की झूठी जानकारी देने का आरोप है।
हालांकि चुनाव के दौरान कई प्रत्याशियों के नामांकन खारिज भी हुए थे लेकिन आरोप है कि इन पार्षदों की झूठी जानकारी का उस समय पता नहीं चल पाया था। नगर निगम के 2 दर्जन से अधिक पार्षदों पर पार्षदी जाने का खतरा मंडरा रहा है। जिन पार्षदों ने चुनाव के दौरान गलत सूचनाएं दी अब वह फंसते हुए नजर आ रहे हैं।
आपको बता दें कि इनमें गाजियाबाद नगर निगम के वार्ड-10, 17, 20, 21, 26, 29, 34, 35, 36, 41, 59, 60, 63, 64, 66, 72, 73, 74, 75, 82, 83, 86, 87, 89, 93 और वार्ड 96 शामिल हैं। इस मामले में प्रशासन की ओर से कोर्ट में डॉक्यूमेंट पेश किए जाएंगे। प्रशासन ने वार्ड-26 के संबंध में नगर निगम से सूचना मांगी है। इस वार्ड में पार्षद की ओर से दाखिल किए गए जाति प्रमाण पत्र पर सवाल उठाए गए हैं। अपर नगर आयुक्त ने बताया कि तहसील से प्रमाण पत्र का सत्यापन कराकर प्रशासन को रिपोर्ट दे दी जाएगी।
गाजियाबाद से संवाददाता नितिन कुमार की रिपोर्ट।