उत्तर प्रदेश सरकार अपराध को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है। बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने की मंशा से योगी सरकार ने कई जिलों में कमिश्नरेट बनाए हैं। लेकिन कमिश्नरेट होने का बावजूद भी गाजियाबाद में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। हालात यह है कि गाजियाबाद में अपराधियों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं। अपराधी शहर में एक के बाद एक आपराधिक घटना को अंजाम दे रहे हैं, गाजियाबाद में एक के बाद एक मर्डर और डबल मर्डर की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन गाजियाबाद पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
आकड़ों पर यकीन किया जाय तो 16 महीने (01 जून 2023 से 15 मई 2024) में गाजियाबाद में कुल 150 मर्डर हुए हैं। जिसमें सबसे ज्यादा मर्डर आपसी रंजिश और अवैध संबंधों के चलते सबसे ज्यादा खून बहा। इसी के साथ अकेले 100 से ज्यादा मामले निजी कारणों के चलते घटित हुए हैं। सीएम योगी के सख्त रवैये के बाद भी ऐसी घटनाओं का होना यकीनन आश्चर्यजनक है। क्योंकि ऐसा कई बार देखा गया है कि यूपी सरकार की डर से स्वयं आरोपी अपने गले में तख्ती लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं और माफी को लेकर गिड़गिड़ाते नजर आते हैं।
कुल मिलाकर पुलिस अधिकारियों की नाकामी के चलते गाजियाबाद क्राइम की राजधानी बन गई है। जिसके चलते पुलिस की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप अपराध रोकने के लिए कमिश्नरेट बनाए गए लेकिन पुलिस के अधिकारियों की नाकामी से सीएम योगी की मंशा पर पलीता लगाया जा रहा है।