Gorakhpur News:उत्तर प्रदेश के प्रमुख नदियों से सटे इलाकों में हर साल बरसात का सीजन आते ही लोगों को डूबने का खतरा मंडराता है। सरकार की तरफ से हर बार करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और भ्रष्ट ठेकेदारों की लापरवाही के चलते पूरा पैसा बाढ़ की भेंट चढ़ जाता है और लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका को झेलने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तरफ से हर साल बाढ़ बचाव के लिए तमाम प्रयास किए जाते हैं। लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही की वजह से आम जनता दुश्वारियों का शिकार हो जाती हैं। मानसून आने में 1 महीने से भी कम का समय बचा हुआ है। लेकिन गोरखपुर के सबसे संवेदनशील हर्बर्ट बांध पर अब तक मरम्मतिकरण का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक मरम्मतिकरण के कार्यों की निविदा तकरीबन 3 महीने पहले आवंटित कर दी गई थी।
बता दें कि अब तक इस बांध पर कार्य शुरू नहीं हो सका है। जगह-जगह रेन कट और रैट होल से बांध कमजोर हो चुका है। और, जैसे ही बरसात होगी ये बांध पानी के तेज बहाव में ढह सकते है जिससे हजारों परिवार बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हो जाएंगे। UP KI BAAT जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो बंधे के दोनों तरफ रेन कट और रैट होल दिखाई देने लगे। जब इस बारे में अधिशासी अभियंता से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन नहीं उठा। अगर ये बांध टूट गया तो गोरखपुर शहर में पानी भर जाएगा। लोगों के खेत खलिहान, घर बार सब डूब जाएंगे। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।
वहीं बाढ़ बचाव कार्यों में गंडक विभाग की नाकामी सामने आई है। कार्यों में गुणवत्ता की कमी और लेट लतीफी लोगों के परेशानी का सबब बन चुकी है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि सरकार का इतना पैसा आवंटित होने के बाद भी अधिकारी और ठेकेदार समय से काम पूरा क्यों नहीं कर रहे हैं।
मानसून आने से पहले बाढ़ बचाव को लेकर सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है। लेकिन ये पैसा कहां जाता है किसी को भी कुछ पता नहीं है। क्योंकि हर बार ही बाढ़ आने से लोग बेघर हो जाते हैं। वहीं लोगों के खेत खलिहान और फसलें सब कुछ बाढ़ की भेंट चढ़ जाती हैं। ऐसे में बाढ बचाव कार्यों में उदासीनता के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी होगी ताकि लोगों को बाढ़ के कहर से बचाया जा सके और सरकार के पैसे का भी सही से उपयोग हो सके।