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Chandauli News: चंदौली के गोलाबाद गांव में सरकारी योजनाएं बेहाल; 8 साल से अधूरा पंचायत भवन

उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण विकास को लेकर लाख दावे करे, लेकिन चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील स्थित गोलाबाद गांव की हकीकत कुछ और ही बयां करती है। गांव में वर्षों से बनकर तैयार सामुदायिक शौचालय में ताला पड़ा है और 8 साल से पंचायत भवन अधूरा पड़ा है। यह दृश्य योगी सरकार की योजनाओं और प्रशासन की जमीनी लापरवाही का आईना दिखाने के लिए काफी है।

तैयार शौचालय में ताला, ग्रामीण मजबूर खुले में शौच के लिए

गोलाबाद गांव में स्वच्छ भारत अभियान के तहत सामुदायिक शौचालय का निर्माण करीब 8 से 10 महीने पहले पूरा हो चुका है। रंग-रोगन और ग्राम प्रधान व सचिव का नाम भी शौचालय पर दर्ज है, लेकिन इसका उपयोग ग्रामीण आज तक नहीं कर पाए। कारण—शौचालय पर ताला बंद है।
महिलाएं और पुरुष आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। यह सवाल उठाता है कि आखिर क्यों तैयार सुविधाएं जनता की पहुंच से दूर रखी जा रही हैं?

8 साल से अधूरा पंचायत भवन, लागत 23 लाख पार

गांव में वर्ष 2016 से पंचायत भवन का निर्माण चल रहा है। ₹23.53 लाख की लागत से बनने वाले इस भवन के लिए आधा पैसा वित्त विभाग और आधा मनरेगा से दिया गया था। लेकिन आज 8 साल बाद भी केवल दीवारें, खिड़कियां और बाउंड्री वॉल खड़ी हैं। छत नहीं डाली गई, और भवन में झाड़-झंकार उग आए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण की राशि निकाल ली गई है, लेकिन काम अधूरा है। बढ़ती महंगाई में 8 साल पहले की राशि से भवन की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

BDO और CDO ने क्या कहा?

खंड विकास अधिकारी नौगढ़ अमित कुमार ने स्वीकार किया कि पंचायत भवन की निर्माण प्रक्रिया फंड की कमी के चलते रुकी है और शौचालय के ताले पर उन्होंने कहा कि “ताला बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है, जांच कराकर जल्द खुलवाया जाएगा।”

मुख्य विकास अधिकारी रामपल्ली जगत साईं ने बताया कि पंचायत भवन का काम पिछले प्रधान के समय शुरू हुआ था, लेकिन नए प्रधान ने रुचि नहीं ली। उन्होंने भी जल्द निर्माण कार्य पूरा कराने और दोषियों पर कार्रवाई की बात कही।

जनता के हक से खिलवाड़, सरकारी दावों की खुली पोल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार यह दावा करते हैं कि राज्य की योजनाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही हैं, लेकिन गोलाबाद जैसे गांव इस दावे को कटघरे में खड़ा करते हैं। जहां सुविधाएं कागजों में पूरी हैं, लेकिन ज़मीन पर जनता अब भी बेसहारा और उपेक्षित है।

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