इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी बेसिक शिक्षा विभाग को झटका देते हुए ‘लास्ट कम फर्स्ट आउट’ स्थानांतरण नीति को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस नीति को जूनियर शिक्षकों के लिए भेदभावपूर्ण बताते हुए इसे मनमाना करार दिया है।
शिक्षकों के स्थानांतरण पर विवाद
यूपी में जून 2024 को लागू की गई इस नीति के तहत, शिक्षकों का स्थानांतरण सिर्फ जूनियर टीचरों तक सीमित था, जबकि सीनियर शिक्षक उसी स्कूल में बने रहते थे। कोर्ट ने पाया कि यह नीति शिक्षकों के सर्विस रूल्स के खिलाफ और समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याची पुष्कर चंदेल समेत सैकड़ों जूनियर शिक्षकों ने 21 रिट याचिकाओं के माध्यम से इस नीति को चुनौती दी। उनका कहना था कि यह नीति सिर्फ नवीनतम नियुक्त शिक्षकों का ही ट्रांसफर सुनिश्चित करती है, जबकि अधिक अनुभवी शिक्षक उसी स्कूल में रहते हैं।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ट्रांसफर पॉलिसी जरूरी थी ताकि शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षक-छात्र अनुपात बना रहे। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं को इस पॉलिसी को चुनौती देने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट का निर्णय
जस्टिस मनीष माथुर की एकल पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने 26 जून 2024 को जारी शासनादेश और बेसिक शिक्षा विभाग के सर्कुलर को निरस्त करते हुए कहा कि इनमें कोई वाजिब कारण नहीं दिया गया है, जिससे स्थानांतरण नीति में सेवा समय को आधार बनाना जायज हो। कोर्ट ने इस नीति को जूनियर टीचरों के प्रति भेदभावपूर्ण मानते हुए इसे रद्द कर दिया।