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Loksabha Election 2024: वाराणसी सीट से लड़ेंगी हिमांगी सखी चुनाव, मोदी के खिलाफ नहीं पर चुनाव में विपक्ष होने पर रोचक

Himangi Sakhi will contest from Varanasi seat, not against Modi but interesting if there is opposition in the elections

Himangi Sakhi will contest from Varanasi seat, not against Modi but interesting if there is opposition in the elections

मोदी के संसदीय सीट बनारस से देस की पहली किन्नर महिला हिमांगी सखी चुनाव के मैदान में कूदने जा रही हैं। उन्हें अखिल भारत हिंदू महासभा से इस सीट से उम्मीगवार के रूप में उतारा है। बता दें कि सखी पांच भाषाओं में बागवत कथा सुनाने में पारंगत हैं। इसी के साथ वे किन्नरों के समान अधिकार के लिए लड़ाई के लिए इस राजनीतिक मैदान में उतरी हैं।

वहीं 12 अप्रैल से किन्नर महामंडलेश्वर वाराणसी अपने चुनाव प्रचार कार्यक्रम को शुरू कर देगी। 2024 का आमचुनाव में मोदी बनारस से तीसरी बार सांसद प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे हैं। देश के सबसे चर्चिक सीट वाराणसी संसदीय सीट पर 1 जून यानी सातवें चरण में मतदान होंगे। जबकि इन चुनावों के नतीजों की घोषणा 4 जून 2024 को होगी।

20 सीटों के लिए जारी की है लिस्ट

हिंदू भारत महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी ने 20 लोकसभा सीटों के लिए लिस्ट जारी की है। जिसमें वाराणसी संसदीय सीट से देश की पहली किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी को उम्मीदवार के रूप में उतारा है। वहीं दूसरे सीटों को देखें तो मिर्जापुर लोकसभा सीट से मृत्युंजय सिंह भूमिहार, आजमगढ़ से पूनम चौबे और बलिया सीट से राजू प्रकाश श्रीवास्तव को उतारा है।

5 भाषाओं में भागवत कथा सुनाने में पारंगत

महामंडलेश्वर हिमांगी सखी के पिता मूल रूप से गुजराती और मां पंजाबी थीं। लेकिन इनका बचपन महाराष्ट्र के परिवेश में बीता है। कई स्थानों पर आने-जाने के चलते इन्होंने बहुत पहले ही पांच भाषाओं पर अपना कमांड स्थापित कर लिया था। और वे पांच भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, गुजराती और मराठी में भागवत कथा पाठ सुनाती हैं।

वहीं उनका मानना है कि भागवत हर किसी को सुननी और समझनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि भक्त-जनों को भागवत समझने में कोई परेशानी का सामना न करना पड़े इसलिए वह विभिन्न भाषाओं में भागवत पाठ करती हैं।

वृंदावन से शास्त्रों का अध्ययन

हिमांगी सखी का बचपन मुंबई (महाराष्ट्र) में बीता है। फिर माता-पिता के देहांत के बाद बहन की शादी हो गई। इसके बाद हिमांगी वृंदावन पहुंची और वहां से शास्त्रों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और गुरू के आदेश को मानकर वे धर्म प्रचार के लिए वापस मुंबई लौट गई। ऐसा नहीं है कि सीधे वे वृंदावन पहुंच गयी बल्कि मायानगरी में उन्होंने कई फिल्मों में किस्मत को आजमाया पर कोई भी रोल उन्हें रमा नहीं तो वे धर्म प्रचार की ओर मुड़ गई।

यहीं से उनके भागवत कथा सुनाने की शुरुआत हुई। जिसके तहत अभी तक महामंडलेश्वर हिमांगी काक, सिंगापुर, मारीशस, मुंबई, पटना आदि स्थानों पर भागवत की पावन कथाओं को कहा है। ऐसे में पूरे साल उनका बहुत टाइट टाइम-टेबल रहता है।

पशुपतिनाथ पीठ से महामंडलेश्वर की उपाधि

हिमांगी सखी को महामंडलेश्वर की पद्वी, पशुपतिनाथ पीठ अखाड़े द्वारा प्राप्त हुई है जो की नेपाल में है। फिर साल 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ में नेपाल के गोदावरी धाम स्थित आदिशंकर कैलाश पीठ के आचार्य महामंडलेश्वर गौरीशंकर महाराज ने, उन्हें पशुपतिनाथ पीठ की ओर से महामंडलेश्वर की उपाधि से अलंकरित किया।

किन्नरों के लिए समान अधिकार पर रहता है फोकस

हिमांगी सखी ने कहा कि किन्नर समाज को उनका अधिकार और सम्मान दिलाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी हैं। प्रधानमंत्री द्वारा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ नारा अच्छा है लेकिन ‘किन्नर बचाओ-किन्नर पढ़ाओ’ की आवश्यकता फिलहाल अभी तक समाज में नहीं समझी गई है। इसलिए उनकी मांग है कि किन्नर समाज के लिए भी नौकरियां हो और लोकसभा, विधानसभा व पंचायत चुनावों में सीटें आरक्षित की जाएं ताकि किन्नरों का भी प्रतिनिधित्व सदन में रहे जिससे उनकी समस्याओं और विचारों के समझा जा सके और जरूरत होने पर उसपर काम भी किया जा सके।

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