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Mahakumbh 2025: 550 साल बाद दिगंबर अनि अखाड़े में ऐतिहासिक चुनाव, पहली बार तय हुआ कार्यकाल

महाकुंभ 2025 के अवसर पर दिगंबर अनि अखाड़े में एक ऐतिहासिक परिवर्तन देखा गया। 550 वर्षों की परंपरा को बदलते हुए अखाड़े ने पहली बार लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाई और पदाधिकारियों के लिए निर्वाचन प्रक्रिया लागू की। अब अखाड़े में अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष, मंत्री और कोषाध्यक्ष जैसे पदों पर 12 वर्षों के कार्यकाल की सीमा तय कर दी गई है।

अब तक आजीवन रहते थे पदाधिकारी

अब तक अखाड़े के प्रमुख पदों पर नियुक्त साधु-महंत आजीवन अपने पद पर बने रहते थे। किसी पदाधिकारी के निधन या अन्य कारणों से स्थान खाली होने पर ही नए व्यक्ति को कार्यकारिणी में शामिल किया जाता था। लेकिन इस बार 550 साल पुरानी परंपरा को बदलते हुए एक नई कार्यकारिणी गठित की गई है।

पहली बार हुए चुनाव, 12 साल का कार्यकाल तय

दिगंबर अनि अखाड़े के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत माधव दास मौनी बाबा ने बताया कि इस ऐतिहासिक चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री और कोषाध्यक्ष पदों के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल 12 वर्षों का तय किया गया है।

चुनी गई नई कार्यकारिणी:

इन सभी पदाधिकारियों को आम सहमति से चुना गया और अब यह अगले प्रयागराज कुंभ तक अपने पदों पर बने रहेंगे।

अन्य अखाड़ों में पहले से लागू थी यह प्रणाली

अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अनि अखाड़ा को छोड़कर निर्वाणी और निर्मोही अखाड़े में पहले से ही हर 12 साल में पदाधिकारियों के चुनाव की परंपरा है। लेकिन दिगंबर अनि अखाड़े में अब तक यह व्यवस्था लागू नहीं थी।

अखाड़े की ऐतिहासिक परंपरा

दिगंबर अनि अखाड़े की स्थापना 1475 ईस्वी में स्वामी बालानंदाचार्य द्वारा की गई थी। अखाड़े की धर्मध्वजा में पांच रंग (लाल, पीला, हरा, सफेद और काला) शामिल किए गए हैं, जो अलग-अलग समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। साधु-महंत भगवान राम और कृष्ण की उपासना करते हैं और उनके ईष्टदेव हनुमानजी हैं।

अरबों की संपत्ति और लाखों अनुयायी

दिगंबर अनि अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय का सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है। देशभर में इसकी अयोध्या, पुरी, नासिक, चित्रकूट, उज्जैन और वृंदावन में प्रमुख बैठकें हैं। इसके लाखों साधु-महात्मा और करोड़ों श्रद्धालु देशभर में फैले हुए हैं। अखाड़े के अधीन कई मठ-मंदिर, कृषि योग्य भूमि और अरबों की संपत्ति भी है।

महाकुंभ 2025 के दौरान दिगंबर अनि अखाड़े में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। 550 साल पुरानी परंपरा को तोड़कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाया गया है। अब इस अखाड़े में हर 12 साल में चुनाव होंगे और अखाड़े की व्यवस्था को और अधिक संगठित और पारदर्शी बनाया जाएगा।

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