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UP NEWS : क्यों सोया है उत्तर प्रदेश का नियुक्ति विभाग?

उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में तैनात IAS एवं PCS अधिकारी भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त हैं। जब ‘यूपी की बात’ की टीम ने उत्तर प्रदेश के लगभग 65 जिलों की पड़ताल की, तो पाया गया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात IAS अधिकारी जो जिलाधिकारी, नगर आयुक्त एवं उपाध्यक्ष विकास प्राधिकरण के पद पर तैनात हैं। उनमें से कई भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसी तरह जनपदों में तैनात PCS अधिकारी ADM, अपर नगर आयुक्त नगर निगम एवं उप जिलाधिकारी भी सरकारी योजनाओं में कमीशन की बंदरबांट कर रहे हैं। सारा कुछ कमीशन पर ही तय हो रहा है। अगर आपको टेंडर चाहिए तो उसमे आपको अधिकारियों का कमीशन तय करना पड़ेगा। सबसे ज्यादा हालत खराब है प्रदेश के नगर निगमों की जिसमें तैनात 16,17 व 18 बैच के IAS जो नगर आयुक्त के पद पर तैनात हैं, उनमे से कुछ ने भ्रष्टाचार का ककहरा सीख लिया है। वहीं कुछ बेहद ईमानदार और निष्ठा से कार्य कर रहे हैं।

भ्रष्टाचार के लग रहे चौके-छक्के!

और अगर बात करें कुछ PCS अधिकारियों की जो अपर नगर आयुक्त के पद पर तैनात हैं। उन्होंने तो भ्रष्टाचार का ही रिकॉर्ड ही तोड़ दिया। कुछ प्रमोटी IAS अधिकारी बेहद ईमानदारी और निष्ठा के साथ कार्य कर रहे हैं। कुछ का भ्रष्टाचार का छक्का बाउंड्री वाल के पार जा रहा है। माइनिंग, नगर निगम, PWD, आबकारी, प्राधिकरण एवं जल जीवन मिशन शहरी एवं ग्रामीण में भ्रष्टाचार के चौके-छक्के लग रहे हैं।

ईमानदार अधिकारी विभाग पर नहीं बना पा रहे नियंत्रण

वर्तमान में प्रमुख सचिव एम देवराज तथा विशेष सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक विजय कुमार बेहद ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी हैं, लेकिन वे विभाग पर अपना पूरी तरह से नियंत्रण नहीं बना पाए।

कहां सोई है उत्तर प्रदेश की विजिलेंस या अन्य भ्रष्टाचार निवारण एजेंसियां?

यह एजेंसियां सिर्फ लेखपाल, सिपाही, दरोगा, कलर्क इन्हीं को पकड़ रही है, मगर इससे ऊपर नहीं जा पा रही हैं। भ्रष्टाचार में डूबे ऐसे अधिकारियों की जांच क्यों नही कर रही हैं। क्या उनके लिए विजिलेंस, EOW या फिर CBI और ED काम नहीं करती। सरकार अपनी एजेंसियों से पता लगाए कि इनके पास कितना धन है। यह योगी सरकार है जो जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है।

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