उत्तर प्रदेश के सीतापुर से ताजा मामला सामने आ रहा है। जिसमें जिलाअधिकारी टेडवाचिलौला में देहात कोतवाली के पीछे बन रहे सरकारी प्रोजेक्ट के औपचारिक निरीक्षण के लिए गये थे। वहां पे सरकारी भूमि पर जिलाधिकारी ने खनन पाया तो तुरंत थाना प्रभारी को तलब कर पूछा तो थाना प्रभारी ने खनन की जानकारी से साफ मना कर दिया।
कार्यवाही के निर्देश
इससे नाराज जिलाधिकारी ने जांच के आदेश देकर कार्यवाही के निर्देश दिए । गजब बात यह है कि आखिर खनन किया किसने ?अलादीन का जिन्न खनन कर के ले उडा या कोई कोई दैवीय शक्ति खनन कर लें गई। देहात कोतवाली में हर वक्त पहरेदार रहते है, सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और खनन करके वाहन ले जाने का रास्ता भी कोतवाली देहात के गेट के सामने से है। ये खनन माफिया इतना सक्रिय और मजबूत है कि उनका नाम लेने तक में पूरा प्रशासन डरता है।
जिला अधिकारी के पास मामला पहुंचते ही तुरंत लिया संज्ञान
सूत्रो की मानें तो कोतवाली देहात के गेट के सामने खनन माफिया इरफान गाजी और मुनीस गाजी का आफिस बना हुआ है जो कोतवाली देहात की देख-रेख में फल फूल रहा है और इन्हीं खनन माफिया का साथ देने वाले कोतवाली देहात में तैनात दोनों हेड कांस्टेबल के द्वारा लगातार साथ दिया जा रहा है । जब जिला अधिकारी अभिषेक आनंद को जानकारी प्राप्त हुई तो तत्कालीन कोतवाली देहात के ठीक पीछे नगर पालिका की जमीन के पास पहुंचे और जांच टीम गठित कर दी है।
बड़े पैमाने पर अवैध खनन
इस संबंध पर अधिशासी अधिकारी वैभव त्रिपाठी से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि नगर पालिका की जमीन पड़ी हुई थी वहां पर नगर पालिका का प्लांट बनाया जा रहा था उसी समय खनन माफिया द्वारा रातों-रात खनन 8000 घन मीटर मिट्टी का खनन कर लिया गया। इन्हीं खनन माफियाओं द्वारा शहर में आये दिन कहीं न कहीं अवैध खनन किया जाता है।इनके द्वारा ही गुलरी पुरवा कोतवाली देहात में बन रहे अटारियां के प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा चुका है।