महाकुंभ 2025 में स्वच्छता और व्यवस्था का खास ध्यान रखा गया है। 13 से 31 जनवरी के बीच संगम में 31.46 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई, जो दिल्ली की कुल आबादी से नौ गुना ज्यादा है। इसके बावजूद, मेला क्षेत्र में मात्र 6,000 मीट्रिक टन कूड़ा ही निकला, जो आयोजन की स्वच्छता और अनुशासन को दर्शाता है।
स्वच्छता बनी प्राथमिकता
प्रयागराज नगर निगम के अनुसार, मेला क्षेत्र में रोजाना औसतन 300 मीट्रिक टन और विशेष पर्वों पर 400 मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है। यह कूड़ा घूरपुर स्थित प्रोसेसिंग प्लांट में भेजा जा रहा है, जहां इसे पुनर्चक्रण कर सीमेंट फैक्ट्रियों को भेजा जाता है।
दिल्ली की 3.46 करोड़ की जनसंख्या की तुलना में यहां रोजाना निकलने वाला कूड़ा 11,000 मीट्रिक टन है, जबकि महाकुंभ मेले में भारी भीड़ के बावजूद सफाई का बेहतरीन प्रबंधन किया गया है।
यूपी में कूड़ा प्रबंधन की स्थिति
- लखनऊ: 45.89 लाख की आबादी, प्रतिदिन 2,000 मीट्रिक टन कूड़ा
- कानपुर: 45.81 लाख की आबादी, प्रतिदिन 1,150 मीट्रिक टन कूड़ा
- महाकुंभ: 31.46 करोड़ श्रद्धालु, मात्र 6,000 मीट्रिक टन कूड़ा
श्रद्धालुओं का अनुशासन और सफाई अभियान
महाकुंभ में श्रद्धालुओं ने सफाई का विशेष ध्यान रखा, जिससे मेला क्षेत्र और घाट स्वच्छ बने रहे। पान-मसाले की पीक तक नजर नहीं आई, जो आयोजन में स्वच्छता के प्रति जागरूकता को दर्शाता है। सफाईकर्मी भी लगातार कूड़ा उठाने और सफाई बनाए रखने में लगे हुए हैं। हर दिन कूड़ा प्रोसेसिंग के बाद इसे सीमेंट फैक्ट्रियों में भेजा जाता है।
मेला क्षेत्र का आकार और व्यवस्थाएं
- कुल क्षेत्रफल: 4,200 हेक्टेयर
- कुल सेक्टर: 25
सफाई के इंतजाम
- 1,50,000 शौचालय बनाए गए
- 25,000 लाइनर बैग युक्त डस्टबिन लगाए गए
- 300 सक्शन गाड़ियां सफाई में लगी हैं
- 10,200 सफाईकर्मी 850 समूहों में तैनात
- 1,800 गंगा सेवादूत निगरानी कर रहे हैं
पर्यावरण संरक्षण की पहल
महाकुंभ में प्लास्टिक को बिल्कुल प्रतिबंधित किया गया है। आरएसएस द्वारा 50 लाख स्टील की थालियां और कपड़े के थैले उपलब्ध कराए गए। इसके अलावा, कुल्हड़, दोना-पत्तल और जूट के थैले मेले में उपयोग किए जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान से बचाया जा सके।
स्वच्छता पर अधिकारियों की राय
पर्यावरण अभियंता उत्तम कुमार वर्मा के अनुसार, मेला क्षेत्र से हर दिन घूरपुर के बसवार स्थित प्लांट में औसतन 300 मीट्रिक टन और विशेष पर्वों पर 400 मीट्रिक टन कूड़ा भेजा जा रहा है। प्रोसेसिंग के बाद इसे सीमेंट फैक्ट्रियों में आरडीएफ के रूप में भेजा जाता है।
महाकुंभ 2025 न केवल आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना, बल्कि स्वच्छता और अनुशासन का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। इतनी विशाल संख्या में श्रद्धालुओं के बावजूद कूड़े की मात्रा नियंत्रण में रही, जो कि सरकार, सफाईकर्मियों और श्रद्धालुओं के सहयोग से संभव हो पाया।