उत्तर प्रदेश: आगामी 27 फरवरी को उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर वोटिंग होनी है। वहीं यहां भाजपा के 9 राज्यसभा सदस्य हैं। जिनका कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इन 10 सीटों में से भाजपा 7 सीटों पर आसानी से जीत दर्ज कर लेगी। जिसके चलते इन 9 राज्यसभा सदस्यों में से कोई सात सदस्य ही राज्यसभा जा पाएंगे। वहीं लोकसभा 2024 के ठीक पहले, राज्यसभा चुनाव में भाजपा में आधे से अधिक सदस्य नए हो सकते हैं।
भाजपा के 9 राज्यसभा सदस्य कौन हैं….
राज्यसभा के जिन 9 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें से केवल दो राज्यसभा सदस्यों को ही केवल बीजेपी रिपीट कर सकती है। बाकी को पार्टी ड्रॉप कर सकती है। वर्तमान में बीजेपी के सदस्यो के रूप में अनिल अग्रवाल, अशोक बाजपेयी, अनिल जैन, कांता कर्दम, सकलदीप राजभर, जीवीएल नरसिम्हा राव, विजय पाल सिंह तोमर, सुधांशु त्रिवेदी और हरनाथ सिंह यादव कार्यरत हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि इस बार बीजेपी इन 9 नामो में बस दो सदस्यों(सुधांशु त्रिवेदी और अनिल जैन) को ही फिर से मौका दे सकती है। उनका नाम सुधांशु त्रिवेदी और अनिल जैन है।
जाति समीकरण सबसे बड़ा फैक्टर
बीजेपी इस बार मौजूदा सदस्यों पर ज्यादा विश्वास दिखाते हुए नहीं दिख रही है। इस बार भाजपा स्पष्ट है कि जो सदस्य सामाजिक समीकरण में फिट नहीं हो रहे हैं और अपने समाज में पैठ नहीं बना पा रहे हैं उन लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने में थोड़ी-सी भी झिझक नहीं करेगी। ऐसे में जीवीएल नरसिम्हा राव और डॉ. अनिल अग्रवाल का सुफड़ा साफ हो सकता है।
इसी के साथ डॉ.अशोक बाजपेयी, सकलदीप राजभर, विजय पाल सिंह और हरनाथ सिंह यादव की स्थान पर भी नए चेहरे उतारने पर विचार कर सकती है। वही पार्टी के सूत्रों की माने तो इस बार राज्य सभा के सदस्यो में जाति समीकरण को साधते हुए पार्टी ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय के साथ पिछड़े व दलित वर्ग को भी टिकट दे सकती है।
इस संगठन के लोगों को मिल सकता है मौका
बीजेपी के पिछले कुछ MLC और राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार के सेलेक्शन के पैटर्न को देखते हुए माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार फिर से वही पैटर्न अपना सकती है और संगठन से जुड़े नेता को ही तवज्जो दे सकती है। बता दें कि प्रदेश संगठन और राष्ट्रीय संगठन दोनों ही स्थानों पर नेताओं की भीड़ है, जो फिलहाल किसी भी सदन से सदस्य नहीं है। ऐसे में प्रदेश संगठन से जुड़े कई नेताओं के नाम भी रेस में हैं।
फरवरी के पहले हफ्ते में कैंडिडेट के नामों पर मुहर
फरवरी के पहले सप्ताह में राज्यसभा के लिए कैंडिडेट के नाम पर भाजपा मुहर लगा सकती है। राज्यसभा उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 8 फरवरी से शुरू हो कर 15 फरवरी तक चलेगी। राज्यसभा उम्मीदवार के लिए बीजेपी की कोर कमेटी फरवरी के पहले सप्ताह में किसी भी दिन बैठक कर सकती है। उससे पहले कमेटी कैंडिडेट के नाम पर विचार-विमर्श करके, जाति समीकरण और बैक रिकॉर्ड को देखकर फैसला ले सकती है।
ब्राह्मण, जाट और ओबीसी वोटों पर नजर
बीजेपी के मौजूदा सदस्यों को देखें तो 1 वैश्य,3 ब्राह्मण,1 एससी महिला, 1 अल्पसंख्यक (जैन),2 ओबीसी और1 क्षत्रिय है और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखे तो बीजेपी ब्राह्मण ,जाट, एससी वोटर बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन जिस तरह से सियासत ओबीसी के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है, उसके चलते पार्टी किसी ओबीसी समुदाय पर दांव लगाए तो कोई नई बात नहीं होगी।