Loksabha Election 2024: आम चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी अपने भविष्य के रणनीतियों को भी देख रही है और उसपर विस्तृत काम करने की ओर अग्रसर है। ऐसे में पार्टी पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को अपने साथ जोड़ने के लिए पार्टी में भागीदारी देने की तैयारी में है।
कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नए प्रयोगों को करना शुरू कर दिया है। इसके लिए पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को टिकट देने में इन समाज के लोगों के लिए सीत की समान हिस्सेदारी रखी है। तो दूसरी ओर सपा का वोट-बैंक कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में कितना रहता है, इसका भी लिटमस टेस्ट पार्टी लगातार चल रहा है। चुनाव 2024 में कांग्रेस के इन दोनों प्रयोग की अग्नि परीक्षा है। पार्टी इस परीक्षा में पास हो जाती है तो वह भविष्य में इसी प्रकार की तकनीक को अपनाकर चुनावी रणक्षेत्र में उतरने का प्रयास करेंगे।
राहुल गांधी की न्याय यात्रा के दौरान जिले के प्रत्येक पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दे को बड़ी प्रमुखता से उठाया था। उन्होंने संगठन से लेकर चुनाव तक में इन वर्ग के लोगों की भागीदारी को लेकर अपने आवाज को उठाया था। उल्लेखनीय है कि यूपी में चल रहे आम चुनाव 2024 में काग्रेस के पाले में गठबंधन से 17 सीटें मिली हैं। इन 17 सीटों में से 15 सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को उतार दिया है पर अभी 2 सीटों पर उम्मीदवार का नाम घोषित कर बाकी है। इस चुनाव में कांग्रेस ने 3 सीटों पर पिछड़े वर्ग के लोगों को टिकट दिया है। यानी इस आम चुनाव में पिछड़े वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है।
इसमें मथुरा संसदीय सीट से मुकेश कुमार को टिकट दिया है जो धनगर जाति से आते हैं तो सीतापुर के राकेश राठौर अति पिछड़े वर्ग, तेली समाज से आते हैं। वहीं, महराजगंज के उम्मीदवार और विधायक वीरेंद्र चौधरी कुर्मी समाज से आते हैं। ऐसे में देखा जाए तो 2 प्रत्याशी पिछड़े समाज से आते हैं। वहीं अल्पसंख्यकों को भी 20 फीसदी हिस्सेदारी दी गई है। जिसमें अमरोहा संसदीय सीट से दानिश अली व सहारनपुर संसदीय सीट से इमरान मसूद जो कि मुस्लिम समाज से आते हैं को टिकट मिला है वहीं झांसी से प्रदीप कुमार जैन को मैदान में उतारा गया है।
आम चुनाव में कांग्रेस ने दलित समाज को भी 20 फीसदी हिस्सेदारी देते हुए तीन सीट उनके खाते में दी है। सामान्य वर्ग के छह उम्मीदवारों में से दो ब्राह्मण समाज से हैं जिसमें कानपुर से आलोक मिश्रा और गाजियाबाद से डॉली शर्मा उम्मीदवार हैं। दो ठाकुर उम्मीदवारों में से एक देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह और दूसरा फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार को खड़ा किया गया है। दो भूमिहारों में वाराणसी से पूर्व मंत्री अजय राय और इलाहाबाद से उज्ज्वल रमण सिंह को मैदान में उतारा है।
कांग्रेस ने पहले सीतापुर लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर नकुल दुबे के नाम की मोहर लगाई थी लेकिन बाद में राकेश राठौर को इस सीट से मैदान में राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए उतारा गया है। इसके पीछे अलग-अलग लोग अलग-अलग कारण बता रहे हैं। पर, चुने हुए प्रत्याशी को जातीय समीकरण का ही संदेश देकर टिकट बदलने पर राजी किया गया है। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व नेता ने समझाया कि न्याय यात्रा के दौरान राहुल ने बार-बार पिछड़ों के मुद्दे को दोहराकर पिछड़े लोगों के लिए अपने आवाज को उठाया था। जबकि पार्टी के भविष्य के रणनीति के लिए पिछड़े वर्ग को भागीदारी का संदेश देना जरूरी है।
कांग्रेस की आयोजनों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मदद से पिछड़े, दलितों व अल्पसंख्यकों को टिकट में दी गई समान भागीदारी का प्रचार करके पार्टी किसी भी स्तर पर कमीं नहीं छोड़ना चाहती । इसी के साथ पार्टी के जनसभा में यह समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि कांग्रेस ही सभी वर्गों और वर्ग विशेष के लोगों को समान भागीदारी दिलवा सकती है।
कांग्रेस पार्टी ने अभी तक अमेठी और रायबरेली संसदीय सीट पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है। ऐसे में 17 में से बची इन दोनों सीटों पर सभी राजनेताओं और पार्टियों की निगाहें टिकी हुई हैं। यदि गांधी का परिवार का कोई सदस्य मैदान में नहीं उतरा तो दो में से एक सीट पर सामान्य वर्ग और दूसरे पर दलित उम्मीदवार को उतारने की सूचना मिल रही है।
सपा से इस बार आम चुनाव में कांग्रेस का गठबंधन है। ऐसे में कांग्रेस की निगाहें उन 17 सीटों के सपा वोटबैंक पर है लेकिन यह देखना रोचक होगा कि क्या सपा के वोट बैंक कांग्रेस उम्मीदवार प्रत्याशी को ओर जाएंगे। फिलहाल आम चुनाव के तहत आने वाले परिणाम को ध्यान में रखकर कांग्रेस अपने आगे की रणनीति को बनाने की ओर अग्रसर है।