उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। सियासी जानकार बताते हैं कि कांग्रेस जिस तरह से आदानी के मुद्दे पर सरकार को निशाना बना रही है, उससे सपा समेत अन्य विपक्षी दल असहज महसूस कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने भी संसद में इस मुद्दे से दूरी बनाए रखने का प्रयास किया है, जिससे दोनों पार्टियों के बीच मतभेद स्पष्ट हो गए हैं।
सपा को शिकायत है कि यूपी के बाहर इंडिया गठबंधन में उसे उचित महत्व नहीं दिया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद अखिलेश यादव अन्य राज्यों में विस्तार चाहते थे, लेकिन सीट बंटवारे में हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में सपा को विशेष तवज्जो नहीं मिली। महाराष्ट्र में सिर्फ दो सीटें मिलने से सपा के भीतर असंतोष बढ़ गया।
यूपी के उपचुनाव में सपा ने कांग्रेस को दो सीटों का ऑफर दिया था, जिसे कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया। इसके साथ ही, लोकसभा में सपा सांसद अवधेश प्रसाद की सीट को पीछे स्थानांतरित करने के निर्णय से सपा का असंतोष बढ़ गया है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस को गठबंधन के सिटिंग अरेंजमेंट पर पुनर्विचार करना चाहिए।
कांग्रेस के साथ मतभेदों के बीच, सपा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा इंडिया गठबंधन की कमान संभालने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। इन घटनाओं से यूपी में इंडिया गठबंधन के मिशन 2027 पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। यदि स्थिति को समय रहते संभाला नहीं गया, तो यह दरार और गहरी हो सकती है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बढ़ रही इस दूरी को समाप्त करने का प्रयास करना आवश्यक है, ताकि विपक्ष एकजुट रह सके और मिशन 2027 को सफल बना सके।