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UP NEWS: भाजपा का विवेक और आस्था में अंतर्कलह, ये दोनों एक दूसरे के विपरीत- अखिलेश यादव

SP will make its strategy after seeing the BJP candidates in the assembly by-elections

SP will make its strategy after seeing the BJP candidates in the assembly by-elections

भाजपा को लेकर अखिलेश यादव से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी में अंतर्कलह आस्था और विवेक का है यानी देश की आम जनता एक ही है।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पूर्व सांसद और लेखक उदय प्रताप सिंह के विचारों को साझा करते हुए लिखा कि विवेक और आस्था एक साथ नहीं चल सकती है। क्योंकि दोनों का ही अपना एक अलग रास्ता है। अखिलेश ने उदय प्रताप सिंह के विचारों के हवाले से लिखते हुए कहा कि…

आस्था कल्पना का तर्कविहीन षड्यंत्र है।
विवेक यथार्थ के प्रकाश का गायत्री मंत्र है।
आस्था हमें ढकोसलों की ओर धकेलती है,
जबकि विवेक की समझ नवीन दरवाजे खोलती है।
विवेकवान समाज उन्नति के शिखर छूता है।
आस्था की भेड़ों का ईश्वर ही रक्षक होता है।
जहां-जहां विवेक है, वहां-वहां खुशहाली है।
जहां-जहां आस्था है, वहां-वहां पेट खाली है।
सूर्य धरा के गिर्द घूमता था आस्था से डरा डरा।
विवेक ने समझाया कि सूर्य स्थिर है और धरा घूमती है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश आगे लिखते हैं कि

हमें पता है कि कल इस पर अपशब्द उचारे जाएंगे।
गैलेलियो की तरह सभी सत्याग्रही मारे जाएंगे,
पर जिम्मेदार कलमकार विवेक के समर्थक हैं।
आस्था उवाच के अधिकतर वचन निरर्थक हैं।
भ्रमित आस्था की सांसों की अवधि सीमित है।
गैलेलियो आज भी विज्ञान में शान से जीवित है।
भाजपा में अंतर्कलह आस्था और विवेक की है।
यानी कि देश की आम जानता और एक की है।

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