बस्ती जिले में कुछ ऐसे लोग या फिर रसूखदार हैं, जिन्हें पृथ्वी के भूजल की कोई चिंता नहीं है। अमॉत जैसे जल को ये बिना किसी रोक के अपने प्रयोग में ला रहे हैं। इन रसूखदारों में कुछ तो बिल्डर हैं तो कुछ पैसा कमाने वाले बिजनेसमैन। जो समय की नजाकत देखकर आमजन से लाभ ले रहे हैं। पर यह लाभ किस तर्ज पर भूमि की कोख सूनी करके!, लेकिन इसकी जिम्मेदारी लेने वाला विभाग इसको लेकर पुरी तरह से अंजान बने हुए हैं।
एक राष्ट्रीय हिंदी न्यूज चैनल के पड़ताल में पता चला कि जिले में 40 ऐसे आरोप प्लांट है जो बिना वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम व बिना रजिस्ट्रेशन के अपने धंधे को चमका रहे हैं, इतना ही नहीं शहर के कई ऐसे बिल्डर हैं, जो बिना एनओसी के बिल्डिंग बनवा रहे हैं और भूजल गर्व का दोहन कर रहे हैं।
भूजल गर्व को लेकर यदि जिम्मेदार समय रहते नहीं चेते, तो आने वाले कुछ वर्षों में ही जिले का वाटर लेवल इतना नीचे चला जाएगा कि हैंड पंप तक सूख जाएंगे, इतना ही नहीं पानी के लिए मनुष्य तो क्या पशु पक्षियों को भी बेहाल होना पड़ेगा और पानी के लिए लोगों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ेगीl
भूजल गर्व को लेकर सीनियर हाइड्रोजियोलॉजिस्ट शिप्रा चौबे ने कहा कि भूजल गर्व का दोहन करने वाले लोगों को चिन्हित कर लिया गया है और इन्हें नोटिस दिए जाने की तैयारी हम कर रहे हैं।