नोएडा प्राधिकरण ने किसानों की लंबे समय से चल रही मांग को ध्यान में रखते हुए गांवों में आबादी निपटान के लिए सर्वे शुरू किया है। याकूबपुर और बादौली गांवों में सर्वे का काम अब अंतिम चरण में है, जबकि गेझा गांव में पहले भी सर्वे किया जा चुका है और एक बार फिर से किया जा रहा है। श्रीप्राधिकरण के भू-लेख विभाग की टीमें गांवों में जाकर यह सर्वे कर रही हैं।
किसानों ने वर्षों से आबादी निपटान की मांग की है। लेकिन प्राधिकरण द्वारा अतिक्रमण के दावे के चलते 5 प्रतिशत भूखंड और मुआवजे की प्रक्रिया रोक दी जाती है। किसानों का दावा है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं किया, बल्कि यह उनकी पुरानी बसी आबादी है। प्राधिकरण नियमों के अनुसार प्रति नाबालिग के लिए 450 वर्ग मीटर छोड़ता है और यह नियम 2021 से लागू है।
प्राधिकरण सैटेलाइट इमेज के जरिए सर्वेक्षण कर रहा है। यदि अविवाहित बेटी घर में है, तो उसके नाम पर भी 450 वर्ग मीटर की जमीन प्राधिकरण द्वारा छोड़ी जाएगी। इन मानकों के आधार पर किसानों की जमीन का निर्धारण होगा और निपटारा किया जाएगा।
प्राधिकरण ने 30 जून 2011 की डेडलाइन मानते हुए उस समय की सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर आबादी की जमीन छोड़ने का निर्णय लिया है। नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के 81 गांवों में से अधिकतर गांवों के किसानों के नाम पर अतिक्रमण दर्ज है।