उत्तर प्रदेश समेत देशभर में सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को राहत देने के लिए प्रस्तावित कैशलेस इलाज योजना पर अमल में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को 28 अप्रैल 2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने यह स्पष्ट किया कि 8 जनवरी 2024 को केंद्र सरकार को मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 (2) के तहत योजना बनाने का आदेश दिया गया था, ताकि सड़क हादसे में घायल लोगों को कैशलेस इलाज मिल सके। यह योजना 14 मार्च 2025 तक हर हाल में लागू होनी थी। लेकिन अब तक योजना पूरे देश में लागू नहीं की गई।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुआन की पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “जब तक शीर्ष अधिकारियों को अदालत में नहीं बुलाया जाता, वे कोर्ट के आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते।” यदि 28 अप्रैल तक संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तो केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
वर्ष | घायल लोग |
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2018 | 4,64,715 |
2019 | 4,49,360 |
2020 | 3,46,747 |
2021 | 3,84,448 |
2022 | 4,43,366 |
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सड़क हादसों से हर साल लाखों लोग घायल होते हैं, जिन्हें तुरंत और सुचारु चिकित्सा सुविधा की जरूरत होती है।
केंद्र सरकार ने बताया कि योजना का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चंडीगढ़, असम, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और पुडुचेरी में लागू की गई है। योजना के अनुसार, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज सात दिनों तक दिया जाएगा।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता केसी जैन द्वारा दाखिल एक और याचिका पर चर्चा हुई, जिसमें सड़क हादसों में घायल या मृतकों के परिजनों को अंतरिम मुआवजा दिए जाने की मांग की गई थी। यह मांग मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164A के तहत की गई। न्यायमित्र गौरव अग्रवाल ने भी इस योजना की जरूरत को उचित ठहराया। इस याचिका पर अगली सुनवाई 28 अप्रैल 2025 को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से जवाब मांगा है कि उन्होंने ट्रांसपोर्ट वाहनों में स्पीड गवर्नर फिट करने को लेकर केंद्र की एडवाइजरी पर क्या कदम उठाए हैं। ई-चालान सिस्टम को बीमा, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, आयु-फिटनेस और स्पीड गवर्नर पोर्टलों से जोड़ने की मांग वाली याचिका पर भी केंद्र को नोटिस भेजा गया है। इस पर जल्द सुनवाई की जाएगी।