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Noida CMP Plan: इंटरनेशनल एयरपोर्ट और लॉजिस्टिक हब को मिला स्थान, 50 वर्षीय योजना तैयार

नोएडा प्राधिकरण ने क्षेत्रीय व्यापक गतिशीलता योजना (CMP) में बड़े बदलाव करते हुए इसमें नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, न्यू नोएडा और लॉजिस्टिक हब को शामिल किया है। यह योजना अगले 50 वर्षों के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश को दिल्ली से बेहतर और जाम मुक्त कनेक्टिविटी प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार की जा रही है।

प्लान का विस्तार और उद्देश्य

प्रारंभ में, CMP प्लान नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़ और बुलंदशहर तक सीमित था। अब इसे विस्तारित कर एयरपोर्ट और लॉजिस्टिक हब जैसे रणनीतिक केंद्रों को जोड़ा गया है। नोएडा प्राधिकरण के सीईओ सतीश पाल के अनुसार, इस योजना से पश्चिमी यूपी की आर्थिक विकास दर में तेजी आएगी। सड़क चौड़ीकरण, नए फ्लाईओवर, बॉटलनेक हटाने और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देकर मास्टर प्लान 2031 के लक्ष्यों को भी पूरा किया जाएगा।

सलाहकार कंपनी का चयन प्रक्रिया

योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एक सलाहकार कंपनी चुनी जाएगी। प्राधिकरण ने बताया कि आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी करने से पहले ट्रैफिक विभाग और अन्य हितधारकों के साथ बैठक होगी। पहले चरण में 7 कंपनियों ने रुचि दिखाई थी, लेकिन योजना के विस्तार के बाद नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जाएगी। चयनित कंपनी को 6 महीने के भीतर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करनी होगी।

50 वर्षीय योजना की रूपरेखा

इस प्लान को एक “थिंक टैंक” के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जिसमें सलाहकार कंपनी और अधिकारी निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करेंगे:

– दिल्ली और पश्चिमी यूपी के बीच सहज यातायात प्रबंधन।
– भविष्य की जनसंख्या वृद्धि और यातायात मांग को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे का निर्माण।
– स्थानीय अधिकारियों की योजनाओं का अध्ययन कर उन्हें CMP में समाहित करना।

नौ-सूत्रीय कार्ययोजना

सलाहकार कंपनी निम्नलिखित 9 चरणों में योजना को आगे बढ़ाएगी:

1. क्षेत्रीय आंकड़ों का संग्रह: भूमि उपयोग, सड़क नेटवर्क, अर्थव्यवस्था और मौजूदा बुनियादी ढांचे का विश्लेषण।
2. सामाजिक-आर्थिक डेटा अध्ययन: वाहनों की संख्या, परिवहन नीतियाँ और दुर्घटना आँकड़े।
3. प्राथमिक सर्वेक्षण: हितधारकों और जनता के सुझावों को शामिल करना।
4. गहन सर्वेक्षण: ट्रैफिक प्रवाह, पार्किंग सुविधाएँ, पैदल यात्री सुगमता का मूल्यांकन।
5. प्रदूषण प्रभाव आकलन: डीजल, पेट्रोल और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग का विश्लेषण।
6. ई-बस परियोजना एकीकरण: चार्जिंग स्टेशन, वर्कशॉप और प्रशासनिक ब्लॉक्स का निर्माण।
7. परिवहन नेटवर्क डिज़ाइन: सड़कों, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पैरा-ट्रांजिट सिस्टम की योजना।
8. सुरक्षा और सुविधा: यातायात नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना।
9. अंतिम मसौदा प्रस्तुति: बोर्ड की मंजूरी के बाद कार्यान्वयन शुरू।

पर्यावरण और सार्वजनिक परिवहन पर ध्यान

योजना में ई-बसों के संचालन को प्राथमिकता दी गई है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में इनके लिए चार्जिंग स्टेशन और डिपो बनाए जाएंगे। साथ ही, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए ईंधन प्रकारों का डेटा एकत्र किया जाएगा।

अगले चरण और अनुमोदन

नोएडा के एक होटल में हुई बैठक के बाद योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। सलाहकार कंपनी द्वारा तैयार ड्राफ्ट को प्राधिकरण के बोर्ड की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से पश्चिमी यूपी को एकीकृत और टिकाऊ विकास की दिशा में बड़ा कदम मिलेगा। यह योजना न केवल यातायात समस्याओं का समाधान करेगी, बल्कि रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास को भी गति देगी।

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