प्रयागराज महाकुंभ 2025 में आयोजित धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन की मांग जोर-शोर से उठ रही है। संतों और धर्माचार्यों ने वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड बनाने की वकालत की। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर के नेतृत्व में हुई इस धर्म संसद में इस मांग को लेकर एक प्रारूप पर सहमति भी बनी। हालांकि, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया और इसके पीछे का कारण भी स्पष्ट किया।
एक राष्ट्रीय हिंदी समाचार चैनल को एक एक विशेष साक्षात्कार में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि सनातन बोर्ड की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि सनातन धर्म अनादिकाल से अस्तित्व में है और सदैव कार्य करता रहा है।
उन्होंने कहा, “महाकुंभ का यह आयोजन 144 वर्षों के बाद ऐसे विशेष योग में हो रहा है। इसमें सभी हिंदुओं को आकर अमृत स्नान करना चाहिए, जिससे उनके मन में सात्विकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो।”
उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म विरोधियों का पराभव होना चाहिए और अब हिंदुओं को नींद से जागने की आवश्यकता है।
हिंदू अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करते – रामभद्राचार्य
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने हिंदुओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और संघर्षशील बनने की सलाह दी। उन्होंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध पंक्ति का उल्लेख करते हुए कहा:
“अब याचना नहीं रण होगा, संग्राम महाभीषण होगा।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह संघर्ष उन लोगों के खिलाफ होगा जो भारत, हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति के विरोधी हैं।
अब तक करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं
महाकुंभ 2025 में उठी सनातन बोर्ड की मांग को लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने स्पष्ट और ठोस प्रतिक्रिया दी है। उनका मानना है कि सनातन धर्म स्वयं में पूर्ण और अनादि काल से सक्रिय है, इसलिए किसी नए बोर्ड की जरूरत नहीं है। साथ ही, उन्होंने हिंदुओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग और संघर्षशील बनने की सलाह दी। महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन भी सुरक्षा और व्यवस्थाओं को मजबूत करने में जुटा हुआ है।