जेल बंद कैदियों को उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के तहत उन्हें स्वरोजगार देने के उद्देश्य से जेल प्रशासन के द्वारा जेल के अंदर ही एलईडी बल्ब बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे जेल में बंद कैदी एक अच्छा हुनर सीख कर जहां अपने आय को बढ़ाएंगे। साथ ही जेल प्रशासन के प्रति लोगों की नकारात्मक छवि को भी समाप्त करेंगे। महराजगंज जिला कारागार में 55 बंदी इस वक्त एलीडी बल्ब बनाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। यह बंदी जेल की काल कोठरी से उजाला करने के लिए ठान चुके है।
महराजगंज जिला जेल में कैदी एलईडी बनाने का हुनर सीख रहे हैं। यहां कई युवा अलग-अलग अपराधों के तहत बंद हैं। किसी के ऊपर हत्या तो किसी के ऊपर लूट तो किसी के ऊपर बलात्कार के मुकदमे दर्ज हैं। ज्यादातर कैदी सजायाफ्ता है तो इनमें अंडर ट्रायल कैदी भी शामिल हैं। जेल प्रशासन की मुहिम के बाद यह सभी उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के तहत जेल में ही प्रशिक्षित किये जा रहे हैं। जेल प्रशासन की कोशिश है कि सजा के दौरान और सजा पूरी करने के बाद इनको काम मिल सके। जिसके तहत उनको आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास जारी है।
इसी के तहत इन कैदियों को एलईडी बल्ब बनाने के काम के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा हैं। पहले चरण में 57 कैदी एलिडी बल्ब बनने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के तहत जिला कारागार में कुल 103 बंदी कैदियों को चिहिंत किया गया है। जिन्हें प्रशिक्षण देकर एलईडी बल्ब बनाने के काम में लगाया जाएगा। पहले चरण में 55 कैदियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। यह सभी बंदी जेल में रहने के दौरान जेल में तथा बाहर जाने के बाद बाहर अपने स्वरोजगार से जुड़कर एलईडी बल्ब बनाने का काम करेंगे।
जेल प्रशासन की कोशिश है कि ये कैदी आत्मनिर्भर बनकर अपने आप को मजबूत कर सकें। जेल अधीक्षक प्रभात सिंह का ने बताया कि भविष्य में 101 प्रोडक्ट के तहत बाहर से रॉ मटेरियल लाकर इन्हीं कैदियों से एलईडी बल्ब बनवाया जाएगा। जिससे इनकी भी आय बढ़ेगी और जेल प्रशासन की भी आय में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा समाज में जेल के प्रति लोगों की धारणा को भी सही करने का मौका मिल सकेगा।
महराजगंज से संवाददाता मार्तंड गुप्ता की रिपोर्ट।