प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 में नारी सशक्तिकरण का एक नया अध्याय लिखा जाएगा। इस महाकुंभ में मातृ शक्ति ने अखाड़ों से जुड़ने में विशेष रुचि दिखाई है। परिणामस्वरूप, इस बार महाकुंभ में सबसे अधिक महिला संन्यासियों की दीक्षा का ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है।
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की महिला संत दिव्या गिरी ने बताया कि इस महाकुंभ में अकेले जूना अखाड़े के तहत 200 से अधिक महिलाओं को संन्यास दीक्षा दी जाएगी। यदि सभी अखाड़ों को मिलाकर देखा जाए, तो यह संख्या 1000 से अधिक हो सकती है। दीक्षा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया पहले से ही चल रही है और 27 जनवरी 2025 को दीक्षा अनुष्ठान होने की संभावना है।
सनातन धर्म में संन्यास के पीछे कई कारण बताए गए हैं। इनमें सांसारिक मोह भंग, परिवार में किसी घटना का प्रभाव, या अध्यात्मिक अनुभव की चाह प्रमुख हैं। इस बार दीक्षा लेने वाली महिलाओं में बड़ी संख्या में उच्च शिक्षित महिलाएं शामिल हैं, जो आध्यात्मिकता के प्रति अपनी रुचि के चलते इस मार्ग पर चलने का निर्णय ले रही हैं।
गुजरात के राजकोट से आई राधेनंद भारती भी इस महाकुंभ में दीक्षा लेंगी। वह वर्तमान में कालिदास रामटेक यूनिवर्सिटी से संस्कृत में पीएचडी कर रही हैं। राधेनंद बताती हैं कि उनके पिता व्यवसायी थे और उनके घर में हर सुविधा उपलब्ध थी। फिर भी उन्होंने आध्यात्मिक अनुभव के लिए गृहस्थ जीवन त्यागने और संन्यास का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया। पिछले 12 वर्षों से वे गुरु की सेवा में हैं।
जूना अखाड़े ने नारी शक्ति को सम्मान दिलाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। महिला संतों के संगठन ‘माई बाड़ा’ को अब ‘दशनाम संन्यासिनी श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा’ के नाम से पहचाना जाएगा। महिला संत दिव्या गिरी ने बताया कि महिला संतों ने संरक्षक महंत हरि गिरी से इस बदलाव की मांग की थी। महंत हरि गिरी ने इसे सहर्ष स्वीकार किया और अब मेला क्षेत्र में महिला संतों का शिविर इसी नाम से स्थापित होगा।
महाकुंभ 2025 न केवल आध्यात्मिकता बल्कि नारी सशक्तिकरण का भी प्रतीक बनकर उभरेगा। इस आयोजन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी एक नई प्रेरणा का स्रोत बनेगी।