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UP Lok Sabha News: बदायूं से मोदी 3.0 के मंत्रीमंडल में शामिल होने वाले मंत्री बीएल वर्मा के राजनीतिक गुरू रहे हैं कल्याण सिंह

Kalyan Singh has been the political guru of minister BL Verma, who joined the Modi 3.0 cabinet from Badaun

Kalyan Singh has been the political guru of minister BL Verma, who joined the Modi 3.0 cabinet from Badaun

आम चुनाव 2024 में बदायूं सीट से पटकनी खाने के बाद मंत्रीमंडल में सांसद की कमी को पूरा करने के लिए राज्यसभा में रहे सांसद बीएल वर्मा को मोदी के मंत्री मंडल में लगातार दूसरी बार सम्मिलित किया गया है। जिसके चलते इनके कद में और वृद्धि देखने को मिली है। वहीं बीएल वर्मा मोदी के करीबी माने जाते हैं और यह भी एक कारण माना जा रहा है उन्हें मंत्री मंडल में स्थान देने का।

बीएल वर्मा कौन हैं?

बीएल वर्मा (बनवारी लाल वर्मा) का जन्म 7 अगस्त 1961 को कछला के नजदीक ज्योरा पारवाला गांव में हुआ था। उन्होंने अपने पांचवी तक की शिक्षा गांव से ही प्राप्त की थी जिसके बाद जूनियर की पढ़ाई के लिए वर्मा भागीरथी गंगा घाट के नाम से पहचाने जाने वाले कस्बा कछला के राधेश्याम इंटर कॉलेज में अपना दाखिला लिया और यहीं से इंटर तक की पढ़ाई की और फिर परास्नातक (ग्रेजुएशन तक) की पढ़ाई शाहजहांपुर जाकर पूरी की है।

फिर उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम के अभिकर्ता के तौर पर अपना काम करना शुरू किया। आपको बता दें कि बीएल वर्मा ने अपना राजनीतिक शुरुआत एक समान्य कार्यकर्ता के रूप में छोटे-छोटे योगदान देकर शुरू किया। वहीं पार्टी के प्रति निष्ठता और कार्यपरकता के चलते उन्हें क्षेत्रीय अध्यक्ष, ब्रज प्रांत की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद इन्हें सिडको के चेयरमैन की जिम्मेदारी सौंपी गई।

बीएल वर्मा के बारे में अभी तक लेखा-जोखा…

राजनीति में कल्याण सिंह और बीएल वर्मा एक सिक्के के दो पहलू रहे

बदायूं संसदीय सीट के बीएल वर्मा ने आम कार्यकर्ताओं के जैसे बीजेपी में अपना योगदान काफी समय तक दिया और इस योगदान के सूत्रधारक कोई और नहीं बल्कि यूपी के पूर्व सीएम स्वर्गीय कल्याण सिंह रहे। ऐसे में कल्याण सिंह ही उनके राजनीतिक गुरू और सलाहकार रहे और उन्हीं ने बीएल को इस क्षेत्र में होने वाली कूटनीतियों और बोलने में प्रखर बनाया। यही कारण था कि जब कल्याण सिंह ने बीजेपी को छोड़ा तो बीएल भी उनके साथ हो लिए थे। जबकि बीजेपी में वापसी पर भी बीएल कल्याण सिंह के साथ ही जुड़े रहे।

यही वजह रही कि कल्याण सिंह जब राजस्थान के राज्यपाल बने तो लोधी वोट साधने के लिए उन्होंने बीएल को आगे बढ़ाया था, जिसे बीजेपी अभी तक सहेजकर रखने में कामयाब रही है।

बीमा एजेंट बने, घर-घर जाकर की पॉलिसी

ग्रैजुएशन की पढ़ाई के बाद उन्हें नौकरी नहीं मिली ऐसे में उन्होंने उझानी में किराए का घर लेकर अपना बसेरा शुरू कर दिया और एलआईसी के एजेंट बन गए। ऐसा बताया जाता है कि वे साइकिल से घर-घर जाकर लोगों को बीमा पॉलिसी बेचने और समझाने का काम बखूबी कर लेते थे। वहीं जब बीमा का कारोबार बढ़ गया तो उन्होंने अपना घर ले लिया। जो उझानी के ही पंजाबी कालोनी में स्थित है।

बीएल वर्मा का राजनीतिक सफर

बीएल वर्मा ने साल 1979 में आरएसएस संस्था ज्वाइन कर लिया फिर 1980 में बीजेपी की सदस्यता को ग्रहण कर लिया। यहां उन्हें जिला कमेटी का सदस्य बनाया गया। साल 1984 में भाजपा जिला युवा कमेटी के महामंत्री बने। 1990 के दशक में उन्हें प्रदेश मंत्री बनाया गया। 1996 में भाजपा प्रदेश युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री का दायित्व मिला। साल 2003 में प्रदेश अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिपाठी और साल 2006 केसरी नाथ त्रिपाठी की टीम में लगातार प्रदेश मंत्री पद का दायित्व संभाला। साल 2009 में कल्याण सिंह भाजपा से अलग हुए तो वह उनके साथ चले गए।

कल्याण सिंह की जन क्रांति पार्टी में साल 2009 से 12 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2013 में जनक्रांति पार्टी का भाजपा में विलय होने पर वह भाजपा रुहेलखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष बने। वर्ष 2016 में ब्रज के क्षेत्रीय अध्यक्ष बने। 2018 में प्रदेश उपाध्यक्ष और सिडको के चैयरमैन बन दर्जा राज्य मंत्री बनाए गए। 2019 में क्षेत्रीय संगठन मंत्री पद का दायित्व भी संभाला। जबकि 2020 में पार्टी ने राज्यसभा सांसद बनाया। मार्च 2021 में पार्टी ने भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा।

विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में किया था प्रचार-प्रसार

बीएल वर्मा ने वर्ष- 2022 के विधानसभा चुनाव में, पार्टी के स्टार प्रचारक होने के चलते पूरे प्रदेश में चुनावी सभाओं को मुख्य रूप से संबोधित किया था। लोधे-राजपूत बहुल सीटों पर उनकी पकड़ काफी मजबूत है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भी वह प्रचार करने गए थे। जहां उन्होंने पिछड़े समुदाय के मतदाताओं की अधिकता वाली सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का अपना काम किया था। वे तेलंगाना में भी प्रचार करने के लिए जा चुके हैं।

बेटे ने छोड़ी टीचर की जॉब

बीएल वर्मा के परिवार में पांच बेटियां और दो बेटे हैं। बड़े बेटे प्रभात राजपूत बेसिक में टीचर रहे थे, लेकिन नौकरी छोड़ दी। वह मौजूदा वक्त में केंद्रीय उपभोक्ता भंडार निगम के चेयरमैन हैं। पत्नी शांति देवी आठवीं पास हैं। बड़ी बेटी प्रतीक्षा वर्मा पीएचडी है। दो बेटियां समीक्षा वर्मा और आंकाक्षा राजपूत भी पोस्ट ग्रेजुएट हैं। तीनों की शादी हो चुकी है। फिलहाल दो बेटियां दीक्षा और साक्षी पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा कर चुकी हैं। सबसे छोटा बेटा हर्ष बीडीसी मेंबर है।

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