नई दिल्ली : मेनचेस्टर ऑफ़ यूपी के नाम से मशहूर कानपुर लोक सभा सीट अब तक हुए लोक सभा चुनावों के बाद कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के खाता में गई ।
कानपुर अब अपनी यह पहचान खो चुका है।
लोकसभा चुनाव 1989 के बाद से कानपुर के उद्योगों को ग्रहण लग गया। सन 1991 के लोकसभा चुनाव के बाद से कानपुर की सीट या तो कांग्रेस के खाते में गई या फिर बीजेपी के खाते में गई। सभी राजनीतिक पार्टियों ने कानपुर के उद्योग धंधों पर जमकर राजनीति की है। नेताओं की वादाखिलाफी का परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ा। उद्योग धंधे बंदी की कगार पर पहुंच गए। कानपुर की सभी मिलें बंद हो गई हैं।
लोकसभा चुनाव चुनाव 2024
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने यहाँ एक विशाल रोड शो कर यहाँ के बीजेपी प्रत्याशी रमेश अवस्थी के पक्ष में प्रचार किया। वहीं , अकबरपुर लोक सभा सीट पर देवेंद्र सिंह भोले को टिकट दिया है। वहीं , कानपुर सीट से कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को पार्टी प्रत्याशी बनाया है। वहीं , अकबरपुर लोक सभा सीट पर इंडिया गठबंधन ने पूर्व सांसद राजा रामपाल को टिकट दिया है।
बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की नई रणनीति
वहीं , गठबंधन प्रत्याशी व कांग्रेस नेता आलोक मिश्रा ने नयी रणनीति के चलते सन 1985 से लेकर अब तक के सभी कानपुर विश्वविद्यालय के छात्र नेता व पार्टी पदाधिकारियों के लिए जीत की राह बनाई है। कानपुर विश्व विद्यालय के कई दिग्गज छात्र प्रदेश की राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हुए राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मुकाम बनाया है।