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VNS News:पुराणों के अध्ययन के बाद काशी विश्वनाथ बाबा का प्रसाद बदला

वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम का प्रसाद आज से बदल गया। अब मंदिर का अपना प्रसादम बिकेगा। दशहरे पर प्रसादम बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया जाएगा। इसके बाद मंदिर परिसर में लगे स्टॉल से इसकी बिक्री होगी।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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VNS News:पुराणों के अध्ययन के बाद काशी विश्वनाथ बाबा का प्रसाद बदला

वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम का प्रसाद आज से बदल गया। अब मंदिर का अपना प्रसादम बिकेगा। दशहरे पर प्रसादम बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया जाएगा। इसके बाद मंदिर परिसर में लगे स्टॉल से इसकी बिक्री होगी।

यह फैसला श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम् गुणवत्ता और मिलावट के सवालों के बीच काशी विश्वनाथ न्यास ने लिया है। न्यास ने बाहर से प्रसाद खरीदने की जगह मंदिर परिसर में ही प्रसाद बनवाने का फैसला लिया था।

सीईओ विश्वभूषण मिश्रा ने इस संदर्भ में कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर ने आज से परिसर में निर्मित प्रसादम् की बिक्री का फैसला लिया है। विजयदशमी पर प्रसादम बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया गया और अब इसी प्रसाद की मंदिर परिसर में स्टालों से बिक्री शुरू की नियमित जाएगी।

मंदिर प्रबंधन की शर्तों के मुताबिक, प्रसादम बनाने में सिर्फ हिंदू कारीगर ही लगाए जाएंगे। धार्मिक मान्यता और नियमों के हिसाब से ही प्रसादम बनेगा। प्रसादम बनाने से पहले कारीगरों को स्नान करना अनिवार्य रहेगा।

पुराण और शास्त्रों को पढ़कर तय किया गया नया प्रसादम्

सीईओ विश्वभूषण मिश्रा के अनुसार विद्वानों की टीम ने शास्त्रों के अध्ययन के बाद नए प्रसादम पर फैसला लिया गया। प्रसादम शास्त्र सम्मत होगा, जिसके लिए शिव पुराण समेत अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया गया।

श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने अपना प्रसादम बनाने का पहले ही तय कर लिया था, विद्वानों की टीम शास्त्र सम्मत प्रसादम बनाने की तैयारी में जुटी थी। इसके लिए पुराणों का अध्ययन किया गया, फिर आटे के चावल से प्रसादम बनाने का फैसला हुआ।

अब प्रसादम में चावल के आटे, चीनी और बेल पत्र के चूर्ण से प्रसाद बनाया गया है। जो बेल पत्र बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया जाता है, उसी का चूर्ण बनाकर प्रसादम में मिलाया गया है। प्रसादम बनाने के नियमों का सख्त रखा गया है।

सुदामा ने कृष्ण को दिए थे चावल

विद्वानों के मुताबिक, धान भारतीय फसल है। इसका जिक्र पुराणों में है। भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का जिक्र है। भगवान भोले शंकर को चावल के आटे का भोग लगता था।

बेल पत्र का महत्व है, इसलिए बाबा विश्वनाथ को चढ़ने वाले बेलपत्र को जुटाया गया, फिर इसे धुलकर साफ कराया गया। सूखने के बाद बेलपत्र का चूर्ण बनाया गया, फिर इसे प्रसादम में मिलाया गया।

अमूल को मिली प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी

बाबा विश्वनाथ के प्रसादम् के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी अमूल कंपनी को मिली है। कंपनी ने नियमों और शर्तों के मुताबिक , दस दिन का प्रसादम बना दिया है, इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था से मंजूरी मिल चुकी है। आज से इसी प्रसाद की ब्रिकी शुरू हुई और आरती में शामिल होने वाले भक्तों को भी यही प्रसाद दिया गया।

भक्तों को प्रसादम के लिए नहीं बदलेगा रेट

काशी विश्वनाथ मंदिर में अभी प्रसादम के लिए कोई नया रेट लागू नहीं हुआ है। मंदिर में 100 ग्राम प्रसादम् 50 रुपये, 200 ग्राम प्रसादम् 100 रुपये में मिलेगा। 100 ग्राम के डिब्बे में 4 और 200 ग्राम के डिब्बे में आठ लड्‌डू मिलते हैं।

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