पौराणिक नगरी काशी का एक ऐतिहासिक धरोहर रामभट्ट तालाब, जो कभी पंचक्रोशी यात्रा का प्रमुख पड़ाव हुआ करता था, आज भ्रष्टाचार और सरकारी उपेक्षा की भेंट चढ़ चुका है। तालाब की सफाई और जीर्णोद्धार के लिए वर्ष 2021-22 में 8 करोड़ 45 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे, लेकिन वास्तविकता में इसका लाभ धरातल पर नहीं दिखता। अब यह तालाब गंदगी से भर चुका है और इसकी हालत ऐसी हो गई है कि पानी को छूने में भी लोग संकोच करने लगे हैं।
पौराणिक महत्व और धार्मिक जुड़ाव
शिवपुर स्थित यह तालाब रामलीला मैदान और मां अष्टभुजी मंदिर के पास स्थित है। मान्यता है कि यह तालाब महाभारत काल का है और द्रौपदी कुंड से जुड़ा हुआ है। पंचक्रोशी यात्रा के चौथे पड़ाव पर स्थित इस कुंड के पास बने धर्मशाला में हजारों श्रद्धालु ठहरते रहे हैं। पहले यह स्थान स्नान और ध्यान के लिए प्रसिद्ध था, पर अब वहां गंदगी और बदहाल व्यवस्था ने श्रद्धा को खंडित कर दिया है।
8.45 करोड़ की परियोजना और ‘कागजी सुंदरता’
2022 में इस परियोजना के तहत तालाब और धर्मशाला के सुंदरीकरण व जलशुद्धिकरण का कार्य शुरू किया गया था। योजनाओं में तालाब का पानी साफ करना, नई पानी आपूर्ति व्यवस्था बनाना और सौंदर्यीकरण शामिल था। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार, सारा काम सिर्फ डेंट-पेंट और कागजी खानापूर्ति तक ही सीमित रह गया। दीवारों पर सुंदर चित्रकारी, फर्श पर पत्थर और पोल लगाए गए, लेकिन तालाब की मूल समस्या यानी गंदा पानी और अव्यवस्था जस की तस बनी रही।
वर्तमान स्थिति: बदबूदार पानी और टूटी संरचनाएं
तालाब के किनारे लगे पत्थर उखड़ चुके हैं, पानी सूख रहा है और मछलियों की संख्या न के बराबर रह गई है। दो वर्ष पूर्व गंदगी के कारण मछलियों की सामूहिक मृत्यु हो गई थी, लेकिन नगर निगम ने सिर्फ शव हटाए, सफाई नहीं कराई। सरस्वती पूजा के समय मूर्तियों का विसर्जन तो हुआ, पर बाद में तालाब की सफाई पूरी तरह से अनदेखी रही। अब सीढ़ियां धंसी हुई हैं, चारों ओर गंदगी फैली है और तालाब हादसों के खतरे का कारण बन गया है।
स्थानीय लोगों और पुजारी की नाराजगी
स्थानीय निवासी अजय केशरी ने कहा, “पैसा आया लेकिन काम सिर्फ दिखावे तक रहा।” वहीं मंदिर के पुजारी ने बताया कि पहले लोग स्नान करते थे, पर अब पानी छूने में भी डरते हैं। एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “महाकुंभ के दौरान हजारों तीर्थयात्री आए लेकिन तालाब की हालत देख कर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।”
रानी झील पर भी अतिक्रमण का साया
तालाब से सटी रानी झील की हालत और भी खराब है। यह झील अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है। इसके अधिकांश हिस्सों को पाटकर मकान बना दिए गए हैं, और आज भी यह प्रक्रिया निर्भीक रूप से जारी है।
पुरानी योजना अधर में लटकी
करीब दस वर्ष पूर्व तत्कालीन कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी। नगर निगम और पर्यटन विभाग ने शुरुआत भी की, पर कुछ ही समय में काम ठप हो गया और परियोजना को भूल का हिस्सा बना दिया गया।