आम चुनाव 2024 में भाजपा की यूपी में बड़ी हार के बाद पहली बार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अपना बयान दिया है। रविवार को लखनऊ में हुए कार्यसमिति के बैठक में उन्होंने कहा कि, संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा बड़ा रहेगा। आगे केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सात कालिदास मार्ग स्थित आवास का दरवाजा सभी के लिए खुला हुआ है। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं उससे पहले कार्यकर्ता हूं।
भाजपा के कार्यसमिति की बैठक में दिए बयान को केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया X प्लेटफॉर्म पर भी पोस्ट किया है। मीटिंग का दूसरा सत्र गोपनीय होने के बाद भी केशव प्रसाद अपने बयान में पूरे तेवर के साथ बोलते हुए नजर आए।
केशव के दिए इस बयान से कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार हुआ। वैसे देखा जाए तो लगातार केशव प्रसाद मौर्य की गतिविधियों से पार्टी में संशय बना हुआ था कि, आखिरकार वह क्या निर्णय ले सकते हैं या फिर संगठन ने उनके विषय में क्या सोच रखा है।
केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो अपलोड किया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि, संगठन सरकार से बड़ा है। उन्होंने कहा कि 7 साल से मैं उपमुख्यमंत्री के पद पर हूं मगर मैं खुद को पहले भारतीय जनता पार्टी का नेता मानता हूं और उपमुख्यमंत्री बाद में। मैं सभी वरिष्ठ नेताओं के सामने यह कहना चाहता हूं कि संगठन सरकार से बड़ा होता है।
वहीं सरकार को लेकर मौर्य के दिए गए बयान को मुख्यमंत्री योगी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। गौरतलब है कि हाल ही में कुछ ऐसे ही बयान अलग-अलग नेताओं की तरफ से भी आए हैं। जिसमें भारतीय जनता पार्टी की सरकार को घेरने का प्रयास किया गया है।
ऐसा पहली बार नहीं है जब केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया है। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की पहली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मौर्य ने यह बात कहकर एक बार फिर कार्यकर्त्ताओं की नाराजगी के मुद्दे को हवा दी है। लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा में योगी विरोधी खेमा यह नेरेटिव सेट करने का प्रयास कर रहा है कि सरकार में कार्यकर्त्ता की सुनवाई नहीं होने के कारण वह नाराज है।
अब बयान के 2 मायने निकाले जा रहे हैं। पहला- मौर्य ने कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ाने और यह संदेश देने का प्रयास किया है कि सरकार को उनकी चिंता है। दूसरा- चुनाव के बाद पहली बार मंच पर आए केशव ने योगी को यह संदेश दिया है कि संगठन ही सर्वोपरि है। सरकार में कार्यकर्त्ता की सुनवाई होनी चाहिए।
केशव प्रसाद ऐसा पहली बार नहीं कर रहे हैं जब उन्होंने संगठन को सरकार से बड़ा बताया हो। पर आम चुनाव के बाद इस बात को एक बार फिर से प्रखर रूप से सामने रखकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी के मुद्दे को हवा देने का काम किया है। क्योंकि आम चुनाव के बाद यूपी में एक खेमा योगी के पक्ष में तो दूसरा खेमा यह नेरेटिव सेट करने में लगा है कि सरकार कार्यकर्ताओं की बातों पर ध्यान नहीं देती है, ऐसे में वे उनसे नाराज हैं। वहीं मौर्य के बयान के मायने को देखें तो इसके 2 मायने हो सकते हैं। एक तो मौर्य द्वारा कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वाश भरना और दूसरा ये कि संगंठन ही सर्वोपरि है और सरकार में कार्यकर्ताओं की बातों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।